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वरिष्ठ फ़ोटो जर्नलिस्ट बृजेश सिंह का हुआ निधन, आगरा पत्रकार जगत ने दी ऐसे श्रद्धांजलि

by admin

आगरा। ताजनगरी में फोटो पत्रकारिता को एक नए आयाम देने वाले वरिष्ठ फ़ोटो जर्नलिस्ट बृजेश सिंह का आज बुधवार सुबह 7 बजे निधन हो गया। 60 वर्षीय बृजेश सिंह विगत कई सालों से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। एम्स दिल्ली में उनका ईलाज़ चल रहा था। उन्होंने अपने पीछे पत्नी रिजू, पुत्र देवांश सिंह, पुत्री खुशी सिंह सहित भरा पूरा परिवार छोड़ा है।

ब्रजेश सिंह ने आगरा में फोटोजर्नलिज्म को एक दिशा प्रदान की थी। उन्होंने दिल्ली के मिड डे में कई सालों तक बतौर फोटो जर्नलिस्ट काम किया। उसके बाद वे अमर उजाला, आगरा आ गए। यहाँ लंबे समय तक फोटो पत्रकारिता की। उसके बाद एएनआई से जुड़कर प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रॉनिक मिडिया में कदम रखा। बृजेश सिंह ने कुंभ, नैनीताल के सुरम्य स्थलों पर लघु फिल्में बनाई।

उनके निधन की सूचना मिलते ही आगरा सहित कई जिलों के पत्रकारिता जगत में शौक की लहर दौड़ गयी और अपने शब्दों से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

एसपी सिंह, संपादक (डीएलए) – बहुत दुःखद ख़बर, बृजेश भाई के साथ लंबा साथ रहा, आगरा में फ़ोटो पत्रकारिता को नई दिशा देने के लिए हम हमेशा उन्हें याद रखेंगे। भगवान उनकी आत्मा को शांति और अपने श्री चरणों मे स्थान प्रदान करे। ओउम शांति।

मनोज पमार, संपादक (हिंदुस्तान) – एक सच्चे और संघर्षशील फोटोग्राफर का आकस्मिक निधन पीड़ादाई है, भगवान बृजेश की आत्मा को शांति तथा परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। ओम शांति ओम।

राजीव दीक्षित, सीईओ (मून टीवी) – बहुत याद आओगे मित्र बृजेश, विनम्र श्रद्धांजलि, दोस्त का एकाएक चले जाना मन को व्यथित कर रहा है। कान्हा जी उन्हें अपने शरण मे लें और परिवार को ये वज्रपात सहने की शक्ति प्रदान करें। ओउम शांति।

भानु प्रताप सिंह, ब्यूरो चीफ़ (पत्रिका डॉट कॉम) – श्री बृजेश सिंह के निधन से हर किसी को आघात लगा है। उन्होंने अमर उजाला में मेरे साथ कई इवेंट कवर किये, पुरातात्विक स्मारकों के बारे में उनको खास रुचि थी। इस कारण ताजमहल, फतेहपुर सीकरी किला आदि स्मारकों की फोटोग्राफी में निपुण थे। फतेहपुर सीकरी में जो मैंने शोध कार्य किया उसमें ब्रजेश सिंह जी की फोटोग्राफी कमाल की थी। एक बार वे फतेहपुर सीकरी का इस एंगल से फोटो लाए की सब कुछ बयां हो रहा था। उस पर मैंने फिर एक स्टोरी बनाई जो अमर उजाला में पहले पेज पर छपी, तरह के तमाम उदाहरण हैं।

वहीं वरिष्ठ पत्रकार संजय तिवारी ने बृजेश के साथ अपने जीवन के अनुभव शेयर किए। उन्होंने लिखा है कि प्रिय बृजेश का जाना किसी आघात से कम नहीं है। वे गजब के जीवट वाले व्यक्ति थे। आगरा में फोटो जर्नलिज्म में जो आयाम उन्होंने स्थापित किये, उन्हें कोई छू भी नहीं पाया। एक-एक फोटो पर वे कितनी में मेहनत करते थे, मैंने नजदीक से देखा है। अमर उजाला में अपनी पारी शुरू करने के साथ ही उन्होंने शहर भर में हलचल मचा दी थी। खेल गतिविधियां हों, या अन्य कोई भी आयोजन उनकी फोटोग्राफी का एंगल सबसे अलग व राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर का होता था। काम के प्रति उनके समर्पण और जुझारूपन से नई पीढ़ी को सीखना चाहिए। बृजेश में एक खास बात थी, गम्भीर बीमारी से ग्रस्त होने पर भी वे कभी अवसाद में नहीं दिखे। जीवन के प्रति उनकी सकारात्मकता हमेशा बनी रही। ऐलोपैथी के साथ ही नेचुरोपैथी और आयुर्वेद में उनका बड़ा भरोसा था। वे इलाज के लिए निरंतर पहाड़ों पर जाते रहे, बाद में वहाँ घर भी बना लिया। मेरी उनसे फोन पर बात होती रहती थी। अंतिम मुलाकात विगत दिसम्बर में एसपी सिंह की पुत्री की शादी में हुई थी, तब वे हाथ में बेंत लिये हुए थे, लेकिन यह जीवटता ही थी कि सैंकड़ों किमी का सफर करके वे समारोह में शामिल हुए। ऐसे जीवट वाले इंसान का यूं चले जाना बुरी तरह अखर रहा है। सच में बृजेश तुम बहुत याद आओगे।

वरिष्ठ पत्रकार विनोद भरद्वाज ने उनके निधन पर संवेन्दनाएँ व्यक्त करने के साथ ही पीड़ा भी व्यक्त की है –
जीवन के आखिरी वर्षों का उनका अनुभव पत्रकारिता के मौजूदा दौर को लेकर बेहद पीड़ादायी रहा। उनके एक भूखण्ड पर कुछ लोग कब्जा कर रहे थे। उन्होंने साक्ष्यों के साथ पत्रकारों से मदद की कई बार गुहार लगाई, पर जिम्मेदार पदों पर बैठे पत्रकारों के व्यवहार ने उन्हें बेहद पीड़ा दी । …. खैर, अब तो बृजेश ही नहीं रहे। जो होना था, हो गया। उनको मेरी भावांजलि। ईश्वर शोक संतप्त परिवार पर कृपा बनाए रखे। ॐ शांति।

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