आगरा जिले में एक निजी अस्पताल का मालिक की कोरोना वैक्सीन लगने के 7 दिन के बाद मौत हो गई। डॉक्टर किशन नथानी 77 वर्ष के थे। उन्होंने आंतरिक चिकित्सा से एमडी की पढ़ाई की थी। साथ ही आपको बता दें कि डॉक्टर किशन नथानी पार्किंसंस और डायबिटीज से पीड़ित थे। 4 फरवरी को सुबह उनकी मौत हो गई। आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए कहा कि टीकाकरण के बाद भारत में अब तक 22 मौतों की सूचना मिली है। हालांकि इनमें से किसी भी मौत की जिम्मेदार कोविड-19 वैक्सीन नहीं है।
आगरा के जिला कोविड-19 के टीकाकरण प्रभारी डॉ संजीव वर्मन का कहना है कि डॉ. नथानी की मौत बुढ़ापे के कारण हुई है। टीकाकरण से इसका कोई लेना देना नहीं है। जबकि मृतक के बेटे डॉ पुनीत नथानी जो कि खुद एक डॉक्टर हैं, उन्होंने जिला स्वास्थ्य विभाग को अपने पिता के बारे में सतर्क किया था कि कोविड-19 के टीके लगवाने से प्रतिकूल महसूस किए जा रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।
मृतक के बेटे ने बताया कि मेरे पिता को 28 जनवरी को टीका लगाया गया था। जिसके कुछ घंटों बाद उन्होंने भूख कम लगने की शिकायत की। उसके बाद 30 जनवरी को उनका ब्लड प्रेशर घट गया और गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में उन्हें रेफर किया गया, जहां वे कोमा में चले गए। हालांकि पूर्व में उन्हें हृदय और किडनी संबंधी कोई परेशानी नहीं थी लेकिन गुर्दे की विफलता मौत का कारण बताया गया। मृतक के बेटे का कहना है कि उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को भी अपने पिता की मौत की सूचना दी लेकिन कोई पोस्टमार्टम नहीं किया गया।
डॉ. पुनीत का कहना है कि वैक्सीनेशन से पहले उनके पिता एकदम साधारण जिंदगी जी रहे थे। हालांकि इस दौरान उन्होंने यह भी नहीं कहा कि वे कोविड-19 वैक्सीन को अपने पिता की मौत का जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे हैं लेकिन भी यह कहना चाहते हैं कि वैक्सीनेशन के तुरंत बाद ही ऐसा हुआ, साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों के हित के लिए हमें इन चीजों को इग्नोर नहीं करना चाहिए। इन बातों की जांच होनी चाहिए ताकि अगला कोई व्यक्ति अगर वह पार्किंसंस और डायबिटीज से ग्रसित है तो उसे इस तरह की वैक्सीन ना दी जाए।
वहीं आगरा जिले के आईएमए सचिव डॉ संजय चतुर्वेदी ने कहा कि टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं के मामले में मानक संचालन प्रक्रिया की गंभीर कमी है। स्थानीय अधिकारियों को इस मामले की विस्तार से जांच करने के लिए एक पोस्टमार्टम परीक्षा जरूर करनी चाहिए थी।
वहीं इस मामले पर जिला मजिस्ट्रेट प्रभु एन सिंह ने कहा कोविड-19 टीकाकरण के बाद एक वरिष्ठ डॉक्टर की मौत स्वास्थ्य मंत्रालय को बताई गई है। टीकाकरण मृत्यु का कारण नहीं है। मुझे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया था कि मृतक कॉमोरिटी से पीड़ित था। फिलहाल पूरे मामले में आवश्यक जांच की जाएगी।