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धूमधाम से मनाई गई संत रविदास जयंती, कीर्तन दरबार में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

by admin

आगरा। रविवार को गुरु रविदास जयंती के अवसर पर गुरु घर चेतना स्तंभ एन एच 2 नगला परमसुख एत्मादपुर फिरोजाबाद रोड पर आलौकिक कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। इस कीर्तन दरबार और कथा समागम में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। विशेष कीर्तन दरबार कथा समागम में वीर महेंद्र पाल सिंह द्वारा संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी पर कीर्तन की अमृतीय रस धारा बहाई जिसका श्रद्धालुओं ने जमकर रसपान किया।

कीर्तन रागी जत्थों ने राम गुसईया जी के जीवना, बहुत जनम बिछड़े थे माधो, साची प्रीत हम तुम सियो जोडी, कीर्तनों से संगत को निहाल किया। गुरुद्वारा दुख निवारण गुरु का ताल के संत बाबा प्रीतम सिंह जी के आशीष वचन के साथ गुरुद्वारा गुरु का ताल का समूह जत्था कथा वाचक रंजीत सिंह द्वारा गुरु रविदास जी की जीवनी पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में गुरु रविदास के चालीस शब्द है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का संकलन पांचवे गुरु अर्जुन देव जी ने स्वयं 1604 संवत में संपन्न किया। भगत रविदास जी के इन्हीं विचारों संदेशों और उपदेशों के संपर्क में गुरु नानक जी आए तो अपनी वाणी में भगत रविदास जी की वाणी को यथा स्थान देकर भगत रविदास को गुरु पद से सुशोभित किया। गुरवाणी में लिखा है वाणी वाणी गुरु है, वाणी वाणी गुरु का स्वरूप है। सिख धर्म में जो सर्वोत्तम मान सम्मान गुरु नानक जी को दिया जाता है वही सर्वोत्तम मान सम्मान गुरु रविदास जी तथा उनकी वाणी को दिया है। इसका प्रकार आप की विचारधारा वाणी रूप में है, अब वह जो वह जुगो जुग अटल चौरछत के मालिक जगदी ज्योति श्री गुरु ग्रंथ साहिब में तब तक सुशोभित है जब तक वह ब्रह्मांड है।

गुरु प्यारी संगतो ने सतनाम वाहेगुरु जी के सिमरन के साथ अपनी उपस्थिति गुरु घर में दी, संगत का आभार व्यक्त किया। हरिचरन मुल्लाजी द्वारा समागम के समापन पर सभी धर्म प्रेमियों ने गुरु का अटूट लंगर ग्रहण किया।

इस दौरान गुरुद्वारा गुरु का ताल के ग्रंथि अजैब सिंह टीटू, वीर महेंद्र पाल सिंह, हरचरन मुल्लाजी, श्याम भोजवानी, जी पी पुष्कर पूर्व मंत्री, नरेंद्र सिंह खनूजा किशन बाबू निमेष, गुरदीप लूथरा, बिजेंद्र सिंह, अमोद कुमार, प्रमोद कुमार, मोहन सिंह, सौरभ निमेष, अमित बाबू, पूरन सिंह आदि मौजूद रहे।

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