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आरएसएस ने मनाया स्थापना दिवस, विजयादशमी पर किया पूजन

by admin

Agra. आरएसएस की ओर से स्थापना दिवस और विजयदशमी पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। नामनेर स्थित दुर्गा मंदिर पर आरएसएस स्वयंसेवकों की ओर से शाखा लगाई गई और फिर पथ संचलन की शुरुआत हुई, जिसमें स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में नजर आए। कतारबद्ध स्वयंसेवकों के हाथों में दंड, शक्ति और अनुशासन का प्रतिबिंब दिखाई दे रहा था।

दंड और शस्त्रों का किया पूजन

पथ संचलन से पहले सभी स्वयंसेवकों ने डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार और गुरुजी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। फिर उसके बाद सभी ने अपने दंड और शस्त्रों का वहीं पर पूजन किया। इससे पहले एक बौद्धिक सत्र भी आयोजन हुआ। आरएसएस के पदाधिकारियों ने विजयदशमी पर्व के इतिहास से सभी को रूबरू कराया और यह संघ से कैसे जुड़ा है, इसकी भी जानकारी दी।

विजयादशमी के दिन रखी थी नींव

विजयदशमी यानी दशहरे के दिन ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी गई थी। दिन था 27 सितंबर, 1925 जब दशहरे के मौके पर मुंबई के मोहिते के बाड़े नामक जगह पर डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने आरएसएस की नींव रखी। ये RSS की पहली शाखा थी जो संघ के पांच स्‍वयंसेवकों के साथ शुरू हुई थी। आज पूरे देश में 50 हजार से अधिक शाखाएं हैं।

ऐसे हुई आरएसएस की स्थापना

संघ के प्रथम सरसंघचालक हेडगेवार ने अपने घर पर 17 लोगों के साथ गोष्ठी में संघ के गठन की योजना बनाई। इस बैठक में हेडगेवार के साथ विश्वनाथ केलकर, भाऊजी कावरे, अण्णा साहने, बालाजी हुद्दार, बापूराव भेदी आदि मौजूद थे। संघ का क्या नाम होगा, क्या क्रियाकलाप होंगे सब कुछ समय के साथ धीरे-धीरे तय होता गया। उस वक्त हिंदुओं को सिर्फ संगठित करने का विचार था। यहां तक कि संघ का नामकरण ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ भी 17 अप्रैल 1926 को हुआ। इसी दिन हेडगेवार को सर्वसम्मति से संघ प्रमुख चुना गया, लेकिन सरसंघचालक वे नवंबर 1929 में बनाए गए।

1975 में लगा था प्रतिबंध

आपको बता दें कि सबसे पहले 50 साल बाद 1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो तत्कालीन जनसंघ पर भी संघ के साथ, प्रतिबंध लगा दिया गया। आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केन्द्र में मोरारजी देसाई की मिली जुली सरकार बनी। तब से धीरे-धीरे इस संगठन का राजनैतिक महत्व बढ़ता गया और इसी से फलस्वरूप भाजपा जैसे राजनैतिक दल को जीवन मिला, जिसे आमतौर पर संघ की राजनैतिक शाखा के रूप में देखा जाता है।

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