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मान्यता : आगरा में इस मंदिर में भगवान भोले नाथ ने स्वयं स्थापित किया था शिवलिंग

by admin
Recognition: Lord Bhole Nath himself had established Shivling in this temple in Agra.

Agra. महाशिवरात्रि पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे भगवान शिव का दिन कहा जाता है। महाशिवरात्रि पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 दिन मंगलवार को है। मान्यता है कि इस दिन पूजा-आराधना से माता पार्वती और भोले बाबा अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर शहर भर के शिव मंदिर भी सजने लगे हैं। शिव मंदिर में व्यवस्थापक सारी व्यवस्थाओं को दूर करने में जुट गए हैं जिससे शिव भक्तों को किसी प्रकार की समस्या न आए।

शिव जी ने स्वयं स्थापित किया था इस मंदिर को

रावत पाड़ा स्थित श्रीमनकामेश्वर मंदिर जनपद के सभी शिव मंदिरों में अपना विशेष स्थान रखता है। मंदिर के महंत योगेशपुरी बताते हैं कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को खुद शिवजी ने स्थापित किया था। इसलिए इस मंदिर की अत्यधिक महत्ता है। मान्यता है कि द्वापर में भगवान शिव ने खुद इस शिवलिंग की स्थापना की थी। परंपरा के अनुसार भक्त की यदि मनोकामना पूरी हो जाती है तो वह मंदिर में आकर देसी घी का दीपक जलाता है।

यह है मंदिर का इतिहास

मनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेशपुरी बताते हैं कि द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो उनके दर्शन के लिए शिवजी कैलाश से चले पड़े थे। इसी स्थान पर जहां आज मनकामेश्वर मंदिर स्थापित है, वहां शिवजी ने विश्राम किया और श्रीकृष्ण के दर्शन करने पहुंचे। उनकी वेशभूषा देखकर मां यशोदा डर गईं। श्रीकृष्ण के दर्शन कराने से मनाकर दिया।

उसके बाद श्रीकृष्ण भगवान रोने लगे। अपनी लीला करने लगे जिसके बाद मां यशोदा ने कान्हा को शिवजी की गोद में खिलाने के लिए दे दिया। लौटते वक्त शिवजी ने खुश होकर खुद अपने हाथ से शिवलिंग की स्थापना की। कहा कि जिस प्रकार मेरे मन की कामना पूरी हुई है, ठीक वैसे ही इस शिवलिंग के दर्शन करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होगी। इस प्रकार इस मंदिर का नाम मनकामेश्वर मंदिर पड़ा।

इसलिए शिवलिंग गया गर्भगृह में

महंत योगेश पुरी ने बताया कि इस शिवलिंग को दूसरी जगह स्थापित करने के लिए एक नया मंदिर 650 वर्ष पूर्व महंत गणेशपुरी द्वारा दक्षिण उत्तर भारत की शैली पर बनवाया गया था जब शिवलिंग को वहां से हटाकर दूसरी जगह स्थापित करने का सभी लोगों ने प्रयास किया तब वह शिवलिंग गर्भगृह में चली गई। इस वजह से आज भी शिवलिंग के दर्शन करने के लिए भक्तों को सीढ़ियों से नीचे उतर कर आना पड़ता है। इसके बाद महंत गणेशपुरी द्वारा स्थापित 650 वर्ष पूर्व मंदिर में दूसरे शिवलिंग को स्थापित किया गया।

सावन का सोमवार हो या न हो लेकिन मनकामेश्वर मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्त यहां अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और पूरी होने पर दीपक जलाकर परंपरा को निभाते हैं। मंदिर में 8 बार पूजा अर्चना और आरती होती है।

महाशिवरात्रि पर्व को लेकर मनकामेश्वर मंदिर के महंत ने महाशिवरात्रि पर्व के इतिहास की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि
भगवान शिव की आराधना के लिए महाशिवरात्रि को विशेष माना गया है। शिवरात्रि के मुख्य पर्व साल में दो बार व्यापक रुप से मनाया जाता है। एक फाल्गुन के महीने में तो दूसरा श्रावण मास में। फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखते हैं और पूरे विधि विधान से शंकर भगवान की पूजा करते हैं।

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