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पुलिस हिरासत में मौत के मामले में फंस सकती है पुलिस की गर्दन, मुकदमा दर्ज

by pawan sharma

आगरा। चोरी के आरोप में थाने पर पकड़ कर लाए युवक राजू की पुलिस हिरासत के दौरान मौत के मामले में पुलिसकर्मियों की गर्दन फंस सकती है। इस मामले में पुलिस कप्तान आगरा अमित पाठक ने मृतक के परिजनों की तहरीर पर अभियोग पंजीकृत करने का आदेश जारी कर दिया है। दरअसल आपको बताते चलें कि सिकंदरा थाने की पुलिस ने नरेंद्र एनक्लेव निवासी राजू को जेवरात चोरी के आरोप में पकड़ा था । मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने थाने की हवालात में 2 दिन तक थर्ड डिग्री दी। जिससे हालत बिगड़ने पर इलाज के दौरान चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया । हवालात में थर्ड डिग्री और हिरासत में मौत के आरोप को लेकर सिकंदरा पुलिस एक बार फिर इस पूरे मामले को डैमेज कंट्रोल करने में जुट गई। आलम ऐसा था कि मृतक के परिजनों की गैरमौजूदगी में ही बाहरी लोगों से पंचनामा भरवा दिया गया और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। बात इतनी होती तो भी गनीमत थी । पोस्टमार्टम पर मौजूद एसीएम पंचम महेंद्र प्रताप सिंह ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले ही युवक की मौत का कारण बीमारी बताकर पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया ।

जब मृतक के शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ। रिपोर्ट नहीं आई तो फिर एसीएम पंचम मृतक की मौत का कारण बीमारी कैसे बता सकते हैं। मतलब साफ था कि पुलिस पर लगे आरोप को लेकर सरकारी मशीनरी डैमेज कंट्रोल में जुटी और आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए मशक्कत शुरू की गई। मगर मीडिया पर खबर आने के बाद पुलिस अधिकारी और सरकारी मशीनरी में हलचल पैदा हुई और मृतक के परिजनों ने सीधा आरोप सिकंदरा थाने की पुलिस पर हवालात में थर्ड डिग्री देने और बिना लिखा पढ़ी पर रखने का लगाया ।

आरोपों से घिरी सिकंदरा पुलिस की वर्दी पर एक और घिनोना दाग लग गया है। इससे पहले भी सिकंदरा थाने में युवक की मौत पर पूर्व में 302 का मुकदमा दर्ज हो चुका है। यह घटना साफ दर्शाती है कि आगरा की सिकंदरा पुलिस का बेशर्म और बेरहम चेहरा एक बार नहीं बल्कि बार-बार सामने आता है। इस मामले में जिले के पुलिस कप्तान ने मृतक के परिजनों की तहरीर पर अभियोग पंजीकृत करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

बाइट प्रशांत वर्मा एसपी सिटी आगरा

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चाहे कुछ भी आए परिजनों का आरोप है कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में खुलासा सही नहीं होगा । सरकारी मशीनरी आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने और डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास कर रही है। परिवार के लोग दहशत में है पर अब देखना होगा कि आरोपों से घिरे पुलिसकर्मियों पर क्या तत्काल एक्शन हो पाता है।

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