Agra. आगरा में दिल झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। जिसने उस मामले के बारे में सुना उसने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। एक परिवार अपने लगभग पांच महीने के बीमार बेटे को अस्पताल में वेटिंलेटर पर मृत समझ कर छोड़कर फरार हो गया। बच्चे की सेहत में सुधार होने पर चिकित्सक व हॉस्पिटल प्रशासन बच्चे के परिजन को फोन करते रहे लेकिन परिजनों ने फोन नहीं उठाये। हॉस्पिटल प्रशासन ने बच्चे के स्वास्थ होने की वीडियो परिजनों के मोबाइल पर भेजी और पुलिस से भी शिकायत की। तब जाकर परिजन उस बच्चे को लेने के लिए हॉस्पिटल पहुँचे।
19 जनवरी को कराया गया भर्ती
इटावा निवासी रंजीत सिंह अपने चार महीने के मासूम को बृहस्पतिवार अपराह्न तीन बजे सिनर्जी प्लस हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर छोड़कर चला गया। उसका कहना था कि बच्चा मर गया है और तुम बिल बनाने के लिए वेंटिलेटर पर रखे हो। इस दौरन बच्चे के परिजन उसे छोड़कर फरार हो गए। परिजनों से कोई संपर्क न होने पर हॉस्पिटल प्रशासन ने शुक्रवार को सुबह पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने पिता से संपर्क किया और उसे बताया कि बच्चा जिंदा है और ठीक हो रहा है। तब 29 घंटे बाद शुक्रवार शाम आठ बजे वह अपने बच्चे को लेकर गया।
उल्टी-दस्त से बिगड़ी थी हालत
अस्पताल के संचालक डॉ. रनवीर त्यागी ने बताया कि 19 जनवरी की सुबह करीब 11 बजे धरवार जैनई, इटावा निवासी रंजीत सिंह अपने पुत्र राघव यादव (चार महीने 26 दिन) को लेकर आया। बच्चे को उल्टी-दस्त और मलद्वार से रक्तस्राव हो रहा था। 20 जनवरी को शिशु को तेज बुखार और मिर्गी के दौरे भी आने लगे। इसके चलते शिशु को अपराह्न करीब तीन बजे वेंटिलेटर पर रखा गया।
मरा समझकर भाग गए
पिता ने कहा कि बच्चे में जान नहीं है, बिल बनाने के लिए वेंटिलेटर पर रखा हुआ है। इसके कुछ देर बाद से ही पिता अस्पताल में नजर नहीं आया। शाम तक भी कोई नहीं आया। शुक्रवार की सुबह बच्चे की हालत में सुधार हुआ और वेंटिलेटर भी हट गया। स्टाफ ने पिता को फोन मिलाया, लेकिन उसने रिसीव नहीं किया। इस कारण थाना सिकंदरा, डीएम, एसएसपी और सीएमओ के यहां इसकी जानकारी दी।
वीडियो बनाकर भेजा परिजनों को
डॉ. रनवीर त्यागी ने बताया कि बच्चे के जिंदा होने का वीडियो बनाकर पिता के मोबाइल पर भेजा गया। वहीं, इस संबंध में थाना सिकंदरा में भी सूचना दी गई। पुलिस ने भी फोन किए, लेकिन उनका फोन भी नहीं उठाया। अस्पताल की ओर से बच्चे के पिता से कोई फीस नहीं ली गई।
बच्चे के पिता रंजीत शुक्रवार शाम को उसे लेने अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया कि बच्चे की तबीयत बिगड़ गई थी। वो वेंटिलेटर पर था। ऐसे में उनके पास अस्पताल का बिल देने के लिए रुपए नहीं थे। 5 हजार रुपए दिए थे, लेकिन अस्पताल वालों ने लेने से मना कर दिया था। बच्चे को वहां से अब इलाज के लिए सैफई ले जा रहे हैं। अस्पताल की ओर से बच्चे के इलाज के लिए कोई फीस नहीं ली गई है।
थाना सिकंदरा के एसआई निशामक त्यागी ने बताया कि इटावा निवासी रंजीत सिंह ने अपने चार महीने के बच्चे को अस्पताल में 19 जनवरी को भर्ती कराया था। अस्पताल प्रबंधन की सूचना पर पिता के बारे में जानकारी जुटाई। उससे संपर्क हो गया। शाम को आठ बजे वो बच्चे को लेकर चला गया।