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श्रीमद्भगवत कथा में प्रथम दिन महात्म्य व गौकर्ण और धुंधकारी की संगीतमय कथा सुनाई

by pawan sharma

आगरा। संतों और भक्तों की वास्तविक सम्पत्ति धन नहीं श्रीहरि की भक्ति है। सत्संग जैसा आनन्द तीर्थों में भी नहीं है। इसीलिए वृन्दावन में भक्त हमारो धन श्रीराधा, श्रीराधा… करकर झूमते नाचते रहते हैं। सतंक कबीर के दोहे धनवन्ता सोई जानिए, जाके राम नाम धन होय… का वर्णन करते हुए भगवताचार्य डॉ. श्याम सुन्दर पाराशर ने फतेहाबाद रोड स्थित राज देवम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में प्रथम दिन श्रीहरि नाम की महिमा के साथ श्रीमद्बागवत कथा का महात्म्य व गौकर्ण और धुंधकारी की कथा का वर्णन किया।

भक्ति व उनके पुत्र ज्ञान व वैराग्य की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि आज के समय में भक्ति तो खूब फल फूल रही है। मंदिरों में भीड़ है, कथें हो रही हैं, परन्तु विडम्बना यह है कि ज्ञान और वैराग्य चैतन्य शून्य है। बेहोशी में पड़े हैं। इसलिए युवा होने के बाद भी भक्ति दुखी है। भक्ति की महिला का वर्णन करते हुए कहा कि जिसके हृदय में भक्ति हो से भगवान के पीछे नहीं भागना पड़ता। बल्कि भगवान खुद उसके हृदय में वास करते हैं। हृदय में भगवान का वास चाहिए तो पहले पने हृदय को छल प्रपंच जैसी गंदगी से साफ करो और हृदय में भक्ति को विराजमान करो।

तुलसीदास जी की रचना दीन कहे धनवान सुखी, धनवान कहे सुख राजा को भारी, राजा कहे महाराजा सुखी, महाराजा कहे सुख इंद्र को भारी, इंद्र कहे चतुरानन को सुख, ब्रह्मा कहे सुख विष्णु को भारी, तुलसीदास विचार कहे हरि भजन बिना सब जीव दुखारी… का वर्णन करते हुए भक्ति और भजन की महिमा का बखान किया। बिनु सत्संग विवेक न होई, रामकृपा बिनु सुलभ न सोई कथा के प्रारम्भ में सुन्दरकाण्ड का संगीतमय पाठ किया।

पंचायती धर्मशाला है मनुष्य का शरीर

भगवताचार्य डॉ. श्यामसुन्दर पाराशर ने कहा कि हमारा शरीर पंचायती धर्मशाला है, जिसे पंचतत्वों ने बनाया है। जब शरीर ही हमारा नहीं तो शरीर के उत्पन्न हुए सगे सम्बंधी हमारे नहीं बल्कि सहयात्री है। जिसका स्टेशन जब आता है, चल जाता है। नए सहयात्री जुड़ जाते हैं। ऐसे ही संसार सरकता जा रहा है। अपने सफर को आनन्दमय बनाना है तो आसक्ति और मोह से दूर रहो। जो लोग शरीर को धर्मशाला मानकर जीवन जीते हैं वहीं सुखी हैं। अंत में आरती कर सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से सांसद रामशंकर कठेरिया, राजकुमार चाहर, धर्मपाल सिंह, पीएस शर्मा, आनन्द शर्मा, ऋषि उपाध्याय, राजेश बारद्वाज, गौतम सेठ, परमवीर, शूरवीर आदि उपस्थित रहे।

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