आगरा। कोरोना वायरस का संकट हो या फिर और दूसरी कोई भी विषम परिस्थिति, अस्पताल में नर्सों का काम मरीजों की सेवा करना ही है। इस ड्यूटी को नर्सें अपना सच्चा धर्म समझती हैं।
12 मई (मंगलवार) को वर्ल्ड नर्सेस डे होता है। ऐसे में मरीजों की सेवा में जुटी नर्सों को बधाई देना हम सब का फर्ज बनता है। अस्पताल से जब मरीज ठीक होकर घर लौटता है तब जितनी खुशी उसके परिवार के लोगों को होती है, कमोबेश उतनी ही खुशी डिस्चार्ज के वक्त उस नर्स को होती है। इस समय कोरोना से चल रही जंग में तो हर नर्स एक बहादुर योद्धा बन कर सामने आयी हैं। अब देखा जा रहा है कि परिवार के लोग और डाक्टर्स मरीज से दूर रहते हैं लेकिन एक नर्स अपनी जान की परवाह किए बगैर मरीज के पास जाकर उसे दवा दे रही है और इंजेक्शन लगा रही है। आज के मुश्किल समय में नर्सों की यह बहादुरी सराहनीय है।
आगरा के जीवनी मंडी स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्टाफ नर्स अंजलि भी उन बहादुर कोराना योद्धाओं में एक है। कोरोना के दौर में अंजलि पूरी तरह से सेवा भाव से अपनी ड्यूटी पूरी कर रही हैं। सरकारी ड्यूटी को जिस तल्लीनता से निभा रही हैं, उतनी तल्लीनता से अपना परिवार से संबंधित धर्म भी निभा रही हैं।
स्टाफ नर्स अंजलि ने वर्ष 2013 में नर्सिंग परीक्षा पास की। इसके बाद निजी अस्पताल में सेवाएं दीं, जहां नर्सिंग सेवा का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त किया। बाद में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जीवनी मंडी में स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्त हो गयीं।
जीवनी मंडी के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. मेघना शर्मा के अधीन स्टाफ नर्स हैं। 01 अप्रैल 2019 से लेकर 31 मार्च 2020 तक एक साल में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 80 सामान्य डिलीवरी अंजलि ने कराई। स्टाफ नर्स अंजिल का कहना है कि फिलहाल कोरोना के कारण डिलीवरी तो नहीं करायी जा रहीं लेकिन गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग का काम बरकरार है। वह बताती हैं कि लगातार हम गर्भवती महिलाओं के हाल चाल लेते रहते हैं। कोरोना के कारण उनके परिजन दवा लेने अस्पताल आ रहे हैं। 15 दिन पहले तक इस अस्पताल में डिलीवरी करायी थी।
जिस वक्त गर्भवती महिला अस्पताल में पंजीकरण कराने आती है, उसी समय फोन नंबर ले लिया जाता है। फोन से पूरे नौ माह तक उस गर्भवती महिला पर निगरानी रखना मेरा दायित्व बन जाता है। साथ ही आशा को समय समय पर गर्भवती महिलाओं के घर भेजती हैं। इस प्रकार से हर गर्भवती महिला और उसके परिवार के साथ पारिवारिक संबंध बन जाते हैं।
वैसे देश भर में लाखों नर्स दिन रात अस्पतालों में और कोरोन्टाइन स्थलों पर आज ड्यूटी दे रही हैं। इन नर्सों का मकसद सिर्फ लोगों की जिंदगी बचाना है। बहुत सी नर्सें कोरोना पाजीटिव हो गयी हैं। फिर भी ड्यूटी निभाना ये फर्ज मानती हैं। अंजलि भी नर्सिंग सेवा में जब उतरी थीं तब जो शपथ ली, उसी शपथ के अनुरूप बखूबी अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रही हैं।
आरती की हिम्मत और जज्बे को सेल्यूट
ट्रेनिंग स्कूल पास आउट करने के बाद हुए शपथ ग्रहण समारोह में आरती ने मरीजों की सेवा करने का संकल्प लिया था। उसे वह विपदा की घड़ी में निभाने के लिए चट्टान की मानिंद खड़ी हैं। कोरोना से डरने के बजाय वह आसुलेशन वार्ड में अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं। कोरोना वॉरियर्स आरती के जज्बे को सभी सेल्यूट कर रहे हैं। उनका कहना है कि सामान्य समय में हर व्यक्ति काम कर लेता है। विपदा में किसी की सेवा करना ही मानव धर्म है।
परिवार नियोजन में अहम कड़ी बनी नीरज
नीरज भी स्वास्थ्य विभाग में ही कार्यरत हैं। वैसे तो विभाग में हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। परन्तु, नीरज भी अहम कड़ी के रूप में काम कर रही हैं। वह परिवार नियोजन के साधनों को संबंधित व्यक्ति तक पहुंचकर जनसंख्या नियंत्रण कराने में मुख्य भूमिक निभा रही हैं। नीरज ने अपना टारगेट सेट कर रखा है। महिलाओं और पुरुषों से संपर्क कर आशा के माध्यम से परिवार नियोजन के साधनों को आसानी से पहुंचा दिया जाता है। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है।