आगरा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को काला झंडा दिखाने वाले एनएसयूआई छात्र नेता गौरव शर्मा की गिरफ्तारी के बाद राजनीति तेज हो गई है। रविवार को एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष गौरव शर्मा से मुलाकात करने के लिए जिला जेल पहुंचे लेकिन जिला प्रशासन ने एनएसयूआई और प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को छात्र नेता गौरव शर्मा से मिलने नहीं दिया। जिला जेल प्रशासन की इस कार्रवाई से एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कांग्रेस कार्यकर्ताओ में आक्रोश फैल गया। आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए जिला जेल प्रशासन और योगी सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए तीखी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की। कांग्रेस कार्यकर्ता एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन के साथ घंटों तक जिला जेल पर ही जमे रहे लेकिन खबर लिखे जाने तक जिला प्रशासन ने उन्हें गौरव शर्मा से मिलने नहीं दिया।
नाराज एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन शर्मा का कहना था कि जिला जेल प्रशासन योगी सरकार के दबाव में छात्र नेताओं पर इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दे रहा है जो छात्रों के हित में नहीं है। आगरा विश्वविद्यालय में फैले भ्रष्टाचार छात्रों की विभिन्न समस्याओं जो उनके परिणाम और मार्कशीट से जुड़ी हुई है। इन्हीं समस्याओं के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और राज्यपाल आनंदीबेन तक पहुंचाने के लिए उन्हें काले झंडे दिखाए गए थे जिससे उन्हें पता चल सके कि छात्र नेता आखिरकार इस तरह का कदम क्यों उठा रहे हैं लेकिन डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और राज्यपाल आनंदीबेन को भाजपा सरकार होने के कारण सब अच्छा ही अच्छा नजर आ रहा है। इसलिए तो छात्रों की आवाज और उनकी समस्याओं को उठाने वाले छात्र नेता गौरव शर्मा पर इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया गया है।
कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल अमित सिंह का कहना था कि योगी सरकार भले ही हमारे नेताओं को जेल में डाल रही है लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि कांग्रेस का हर कार्यकर्ता को आम जनमानस की समस्याओं को लेकर जेल में रहने की आदत है। चाहे वह फिर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हो या फिर जवाहरलाल नेहरू जिन्होंने देशहित के लिए जेल को ही अपना घर बना लिया था। जेल की दीवारें चाहे जितनी भी ऊंची हो जाएं लेकिन एनएसयूआई के नेताओं की आवाज को नहीं दबा पाएंगे। अभी तो राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा का काले झंडे दिखाकर विरोध किया गया है। अगर छात्रों के हित में कभी राष्ट्रपति को भी काले झंडे दिखाने हो तो उसमें भी एनएसयूआई के नेता पीछे नहीं रहेंगे।