प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यदि भगवा वस्त्र पहनकर ताजमहल पहुचें तो कोई बात नहीं, लेकिन भगवा पहने सन्तों को ताज में प्रवेश की इजाजत तक नहीं है। ऐसा ही वाकया आज अयोध्या छावनी के रहने वाले संत जगद्गुरू परमहंसाचार्य और उनके तीन शिष्यों के साथ हुआ। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बाद में सफाई दी कि वे लोहे के डंडे के साथ प्रवेश चाहते थे, वह सम्भव नहीं था। वे बिना डंडे के ताज में जाने को तैयार नहीं हुए। हालांकि सन्त जब ताजमहल के निकट पहुंचे तो यूपी पुलिस के जवानों ने पूरे सत्कार के साथ उन्हें ताज के प्रवेश द्वार तक जाने वाली गोल्फ कार्ट में बैठाया, लेकिन प्रवेश द्वार पर मौजूद केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों ने उनके साथ बेरुखी अपनाई।
भगवा को शरीर पर धारण कर राम जन्म भूमि अयोध्या से ताजमहल देखने आये जगद्गुरु परमहंसाचार्य और उनके शिष्यों को धक्के देकर बाहर निकाल दिया गया। हालाँकि संतों की वाणी की मधुरता थी की वो दुःख होने के बाद भी आशीर्वाद देकर वहां से वापस अयोध्या लौट गए। संतों के अपमान पर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनसे क्षमा भी मांगी है। अब मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के पास से कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है।
बताया जाता है कि संत जगद्गुरु परमहंसाचार्य अपने शिष्यों के साथ अलीगढ़ के एक भक्त परिवार से मिलने आये थे। वहां से चलकर वे ताजमहल देखने आये। उनके साथ सरकारी गनर भी थे। उनके शिष्य ने बताया कि श्मशानघाट चौराहे से जब वे ताजमहल के लिए निकले तो वहां मौजूद पुलिस कर्मियों ने परिचय जानकर उन्हें गोल्फ कार्ट में बैठाकर पश्चिमी गेट भेजा। शाम करीब साढ़े पांच बजे संत अपने शिष्यों के साथ ताजमहल में प्रवेश करने लगे तो वहां मौजूद सीआईएसएफ और अन्य कर्मचारियों ने उन्हें रोक दिया। उनके भगवा पहने होने के कारण प्रवेश न देने की बात कही गयी और उनके टिकट लेकर अन्य पर्यटकों को बेच दिए गए। उनका पैसा लौटा कर वापस भेज दिया गया। आरोप है कि उनके शिष्य ने जब फोटो खींचने का प्रयास किया तो मोबाइल फोन छीन कर फोटो डिलीट कर दिए गए।
परमहंसाचार्य को प्रवेश नहीं मिला तो वहां खड़े एक देशी पर्यटक ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि दाढ़ी है, टोपी लगा लेते तो काम हो जाता, भगवा पहन कर क्यों आये। परमहंसाचार्य ने कहा कि उन्होंने सुना है कि यह तेजोमहल है और यहाँ भगवान शिव की पिंडी दबी हुई है। इसीलिये आज यहाँ देखने आये थे, पर यहाँ कहा गया कि भगवा पहने हैं और ब्रह्मदण्ड लिए हैं, भगवा वालों पर रोक है, यहाँ टोपी वालों को जाने दिया जाता है।
उनके शिष्य ने कहा कि ताजमहल पर भगवा को भी प्रवेश मिलना चाहिए और जो लोग दोषी हैं, जांच कर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। गौरतलब है कि हर समय भगवा वस्त्र धारण करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व में ताजमहल पहुंच कर स्वच्छता अभियान का संदेश दिया था।
इसके अलावा ताजमहल के सेंट्रल टैंक पर भगवान की फोटो रखकर पूजा करने के दौरान एक दम्पति को पकड़ा गया था, बाद में उन्होंने जानकारी न होने की बात कहकर माफ़ी मांगी तो उन्हें छोड़ दिया गया था। ताजमहल पर किसी भी तरह का प्रचार प्रतिबंधित है। धार्मिक वेशभूषा जैसे टोपी, कुछ लिखे अंगवस्त्र और किसी भी जगह की वेशभूषा पर रोक नहीं है, इसके बावजूद कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। इस बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद आर के पटेल ने कहा कि भगवा कपड़े पहने व्यक्ति को सीआईएसएफ ने रोका था और इसका कारण यह था कि वे अपने साथ लोहे का एक डंडा लिए थे। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें डंडा वहीं रख कर जाने को कहा, पर वे तैयार नहीं हुए।
संत जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने बताया कि यह तेजोमहल है और यहाँ भगवान शिव की पिंडी दबी हुई है। इसीलिये वो आज यहाँ देखने आये थे। पर यहाँ कहा गया कि भगवा पहने हैं और ब्रह्मदण्ड लिए हैं, भगवा वालों पर रोक है। यहाँ टोपी वालों को जाने दिया जाता है। यह दुर्भाग्य है की टोपी वालों को महत्त्व दिया जाता है। भगवान चाहेंगे तो यह दुर्भावना जो पैदा हो गयी है उसे ठीक किया जाएगा।