• गुप्त नवरात्रों की सप्तमी के दिन अर्ध रात्रि में हुआ महामाई का महायज्ञ, 108 श्रीफलों की दी गई आहूति
आगरा। गुप्त नवरात्रों की सप्तमी पर कालरात्रि में मां कामाख्या का निशा पूजन किया गया। महायज्ञ में महामाई को 108 श्रीफलों के साथ सात्विक पेठे व नींबू की भी आहूति दी गई। महायज्ञ परिसर में स्थापित 56 मूर्तियों पर दीपदान किया गया। जिससे समस्त यज्ञ परिसर दिव्य रोशनी से जगमगा उठा। महामाई के विभिन्न पाठों व महायज्ञ की धूनि से समस्त वातावरण पवित्र व सुगन्धित हो गया। अष्टमी के दिन कालरात्रि पूजन में दीपदान के साथ 108 किलों फलों व नवमी के दिन 108 किलो मेवाओं की आहूति महामायी के महायज्ञ में दी जाएगी। परम पूज्य संत श्री कीर्तिनाथ जी महाराज के नेतृत्व में शास्त्रीपुरम, सुनारी में महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु मां कामाख्या व भैरव बाबा के स्थापित ध्वज व मुख्य हवन कुण्ड की परिक्रमा के लिए पहुंच रहे हैं।
परम पूज्य संत श्री कीर्तिनाथ जी महाराज ने कहा कि गुप्त नवरात्रों के अवसर पर सप्तमी, अष्टमी व नवमी के दिन महामाई कामाख्या का कालरात्रि में विशेष पूजन व दीपदान किया जा रहा है। नगला चंद्रभान दीनदयाल धाम के निर्देशक सोहनपाल जी ने महायज्ञ में आहूति दी। रास रचो है रास रचो है वृन्दावन में रास रचो है… कीर्तन पर आज श्रीहरि की कथा में भक्तजन भगवान की भक्ति में खूब झूमें। शिवजी के गोपी बनकर महारास में पहुंचने व माखन चोरी, मिट्टी खाकर माता यशोदा को ब्रह्माण्ड के दर्शन कराने की लीलाओं का वर्णन कथा वाचक संजय शास्त्री ने किया। सामाजिक विषयों पर बोलते हुए कहा कि जो हमें तार दे वह पुत्र है, वह पुत्र नहीं जो बुढापे में माता-पिता को रोटी न दे। ऐसे पुत्रों का कभी तारण नहीं हो सकता, चाहे कितने भी धर्म कर्म करें। चाहे कितनी भागवत करा ले। नर्क कहीं दूसरी जगह नहीं धरती पर ही है। जैसे कर्म करोगे वैसा ही भोगोगे।
इस अवसर पर मुख्य रूप से इस अवसर पर मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष कान्ता प्रसाद अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुरारीप्रसाद अग्रवाल, वंदना मेड़तवाल, गुड्डा प्रधान, राहुल अग्रवाल, जयशिव छोकर, चैधरी यशपाल सिंह, विक्रम सिंह राणा, मुन्ना मिश्रा, शम्भूनाथ चैबे, मुकेश अग्रवाल अवि गोयल, पवन भदौरिया, सुनील पाराशर, खेमसिंह पहलवान, मीना अग्रवाल, वीरेन्द्र मेड़तवाल, दिव्या मेढतवाल, सीमा गोयल, रीया आदि उपस्थित थे।
18 फरवरी को होगा संतों का विराट सम्मेलन
मां कामाख्या आयोजन सेवा समिति के अध्यक्ष कान्ता प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि 18 फरवरी को संतों का दोपहर 12 से 2 बजे विराट सम्मेलन, सामूहिक विवाह समारोह, यज्ञोपवीत (जनेऊ संस्कार) का आयोजन व दो निर्धन कन्याओं का विवाह कराया जाएगा। संतों के सम्मेलन में भारत के विभिन्न धार्मित स्थलों (काशी, उज्जैन, अयोध्या, मिथिला, आसाम, वृन्दावन) के 300 से अधिक साधू संत भाग लेंगे। सनातम धर्म व संस्कृति विषय पर संवाद होगा। 20 फरवरी को महायज्ञ पूर्णाहूति, सम्मान समारोह व भंडारे का आयोजन होगा। 21 फरवरी को सभी स्थापित मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा।