आगरा। केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में नॉर्थ सेंट्रल रेलवे एंप्लाइज संघ ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को नॉर्थ सेंट्रल रेलवे एम्प्लॉइज संघ के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भारी संख्या में यूनियन कार्यालय पर एकजुट हुए। सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए पैदल मार्च करते हुए डीआरएम कार्यालय पहुँचे, जहाँ सभी लोगों ने मिलकर जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के दौरान एनसीआरईएस के पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सरकारी नौकरों को बेरोजगार करने का काम कर रही है। लाभ में चल रहे संस्थानों को निगम बनाकर और उन्हें घाटे में दर्शा कर बेचा जा रहा है। अब तो केंद्र सरकार ने रेलवे कर्मचारियों के अधिकारों पर भी कुठाराघात करना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार डेढ़ सौ प्राइवेट रेलगाड़ियां चलाने का निर्णय लिया है जिससे रेलवे में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा और सरकारी नौकर बेरोजगार हो जाएंगे।
एनसीआरईएस ने अपनी लंबित पड़ी मांगो पर कोई सुनवाई न होने पर भी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना था कि एनपीएस को बंद कर गारंटीड पेंशन देने, श्रम कानूनों में बदलाव हेतु संसद में पेश किए गए औद्योगिक संबंध कोड 2019 को वापस लिए जाने, कर्मचारियों की संख्या में कटौती बंद कर रिक्तियों को अविलंब भरे जाने, लारजेस के अंतर्गत के 21 अक्टूबर 2017 से पहले मेडिकल जांच में फिट घोषित किए गए अभ्यर्थियों को नियुक्त किये जाने, रेल आवासों के रखरखाव पर ध्यान दिया जाने की मांग शामिल है लेकिन अभी तक इन मांगों पर कोई सुनवाई नही हुई है।
एनसीआरईएस यूनियन के पदाधिकारियों का कहना था कि भाजपा सरकार श्रम विरोधी नीतियों को अपना कर तानाशाही दिखा रही है जिसे बर्दाश्त नही किया जाएगा। अगर मांगे पूरी नही हुई तो भविष्य में उग्र प्रदर्शन होगा।