Agra. मंगलवार को भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए की अदालत में हाजिर हुए। कोर्ट ने उन्हें 30 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है। अदालत ने सांसद के सोमवार को हाजिर न होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए दोबारा गैर जमानती वारंट जारी कर दिये थे। सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तिथि नियत की है। 23 सितंबर को भी पत्रावली सफाई साक्ष्य में लगी थी। न तो सांसद रामशंकर कठेरिया हाजिर हुए और न ही उनकी ओर से स्थगन और हाजिरी माफी का प्रार्थनापत्र आया। तब कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए थे।
यह है मामला
उच्च न्यायालय खंडपीठ की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे अधिवक्ताओं के समर्थन में कठेरिया ने 26 सितंबर 2009 में राजामंडी रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया था। इस दौरान रेलवे ट्रैक को रोककर यातायात को बाधित किया था। जिस पर तत्कालीन राजामंडी स्टेशन मास्टर ने रामशंकर कठेरिया, सांसद चौधरी बाबूबाल, इंदिरा वर्मा, उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति के संयोजक अधिवक्ता केडी शर्मा, अधिवक्ता अरुण सोलंकी व कुंवर शैलराज सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
मामले में आरोपितों की पत्रावली पृथक करने के कारण सांसद रामशंकर कठेरिया के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई अलग से हाे रही है। सांसद के 13 सितंबर को विशेष न्यायाधीश एमपीएमएलए की अदालत में बयान दर्ज हुए थे। उन्हें 23 सितंबर को अदालत में हाजिर होकर अपना पक्ष रखना था। मगर, कठेरिया के हाजिर न होने पर अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए थे। सांसद कठेरिया को 27 सितंबर को हाजिर होना था। उनके हाजिर न होने पर अदालत ने दोबारा गैर जमानती वारंट जारी करते हुए अब सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तारीख नियत की थी। सांसद रामशंकर कठेरिया मंगलवार को दोपहर करीब 12:30 बजे विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए की अदालत में हाजिर हुए हैं। कोर्ट ने उन्हें 30 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है।
सांसद राम शंकर कठेरिया का कहना था कि यह 12 साल पुराना मामला है। खंड पीठ की मांग को लेकर अधिवक्ताओं के आवाहन पर सामाजिक व राजनीतिक दलों ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। इस दौरान राजा मंडी पर जो ट्रेन रोकी की गई थी, उसमें रेलवे एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था जो मामला अभी तक चल रहा है।
सांसद रामशंकर कठेरिया ने कहा कि हाई कोर्ट बेंच आगरा की मांग है और आगरा शहर की जरूरत भी है। कई दशकों से अधिवक्ता आगरा शहर में हाईकोर्ट बेंच की मांग कर रहे हैं, यह मांग पूरी हो इसलिए उनका समर्थन अधिवक्ताओं के साथ है। उन्होंने यह भी कहा कि वह खुद भी चाहते हैं कि आगरा में हाईकोर्ट बेंच बने। सरकार भी इस ओर गंभीर है जल्दी कोई हल निकलेगा।