Agra. हेलो गैंग का खुलासा करने के बाद साइबर टीम को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी। बीमा कंपनी के अधिकारी बनकर रुकी हुई बीमा पालिसी का भुगतान दिलाने के नाम पर लोगों के साथ ठगी करने वाले तीन शातिर साइबर अपराधियों को रेंज साइबर टीम ने गिरफ्तार किया है। यह शातिर अभी तक तकरीबन 200 लोगों को अपना शिकार बना चुका है और उनसे करोड़ों रुपए की ठगी की जा चुकी है। पुलिस ने तीनों शातिर अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर जेल भेज दिया है।
बताया जाता है कि मथुरा के थाना रिफाइनरी निवासी ललित पाठक के पास एक अंजान नंबर से काल आई थी। काल करने वाले ने पालिसी के 1247392 रुपये डीडी के माध्यम से दिलाने की बात कही। उनकी एलआईसी पालिसी में नाम ललित पाठक की जगह ललित किशोर था। पालिसी का लाभ दिलवाने के नाम पर 43 हजार रुपये की मांग की। शक होने पर ललित ने साहिबान सिंह से शिकायत की थी। इस शिकायत को आईजी/ एडीजी रेंज ए सतीश गणेश ने गंभीरता से लिया और सीओ हरीपर्वत एएसपी अभिषेक अग्रवाल को जांच दी गई।
सोमवार को गैंग के तीन सदस्यों को एमजी रोड स्थित एसएन मेडिकल कालेज के पास से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने इन शातिर अपराधियों से मोबाइल फोन, सिम कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड,पहचान पत्र, आर सी आदि बरामद की है।
गिरफ्तार हुए साइबर शातिर अपराधी-
1:- सुमित कश्यप निवासी गांव देवला, सूरजपुर, ग्रेटर नोएडा।
2:- रमेश प्रसाद गिरी निवासी गांव हलोरा, शौहरतगढ़, सिद्धार्थ नगर।
3:- मोहम्मद आकिब निवासी हिंदूपुरा खेड़ा, दिपू सराय, संभल।
ये हुई बरामदगी-
छह मोबाइल, सात सिम कार्ड, दो एटीएम कार्ड , एक पेन कार्ड, दो आधार कार्ड, दो मेट्रो कार्ड, चार पहचान पत्र, एक्सल फाइल में डाटा, पांच खातों को विवरण बरामद किया है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अभियुक्तों से पूछताछ में पता चला है कि गैंग के तीनों सदस्य पूर्व में IIFL नाम की कंपनी में काम करते थे। IIFL कंपनी इंश्योरेंस पॉलिसी और शेयर ट्रेडिंग का काम करती थी। अभियुक्तों को इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम से ठगी करने का विचार आया। अभियुक्तों ने कंपनी में मौजूद डाटा को चोरी किया जिसमें उन व्यक्तियों का पूर्ण विवरण मौजूद था जो इंश्योरेंस पॉलिसी ले चुके हैं और उन व्यक्तियों का डाटा जो इंश्योरेंस लेने के इच्छुक थे।
अभियुक्तों ने IIFL कंपनी बंद हो जाने के बाद चुराए हुए डेटा का इस्तेमाल कर लोगों को इंश्योरेंस कंपनी का अधिकारी बन संपर्क किया और लोगों को विभिन्न प्रकार का प्रलोभन जैसे दुगना, तीन गुना पालिसी रिटर्न, आसान ईएमआई, रिवॉर्ड पॉइंट, अथवा विभिन्न प्रकार के भय जैसे पॉलिसी लैप्स होना, पैसे में कटौती का डर दिखाकर मोटी रकम RIGF सर्विस नाम से फर्जी खोलें गए अकाउंट या अन्य फर्जी अकाउंट में हस्तांतरित कर धोखाधड़ी करते थे।
अभियुक्त रकम पूरी तरह से चेक द्वारा लेते थे और बदले में पीड़ितों को फर्जी पॉलिसी बांड, डीडी दिखाते थे। अभियुक्त गण अकाउंट में हस्तांतरित हुई रकम को अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर कर एटीएम से निकाल लेते थे। इतना ही नही पीड़ित व्यक्तियों से पॉलिसी के नाम पर लिए गए दस्तावेजों का प्रयोग अकाउंट खुलवाने, मोबाइल सिम लेन, व साइबर अपराध हेतु इस्तेमाल किया करते थे।
अभियुक्तों से मिली जानकारी के मुताबिक यह गैंग दो सौ लेागों को ठगी का शिकार बना चुका है। सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर जेल भेजा जा रहा है।
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