Agra. ऑक्सीजन आपूर्ति के अभाव में पारस हॉस्पिटल में हुई मौत की मॉक ड्रिल मामले की गूंज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कानों तक जा पहुंची है। मामले ने तूल पकड़ा और विपक्षियों ने निशाना साधा तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से हॉस्पिटल पर कार्रवाई किए जाने के आदेश जारी हो गए। आदेश जारी होने के बाद स्थानीय प्रशासन भी हरकत में आया और हॉस्पिटल को सीज करने के लिए प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी पहुंच गए। पुलिस, प्रशासनिक व चिकित्सा अधिकारियों की मौजूदगी में हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को स्थानांतरित कराए जाने की कार्यवाही की जा रही है और उसके बाद पूरे हॉस्पिटल को सीज कर दिया जाएगा।
इस बीच जिला अधिकारी पीएन सिंह का भी बड़ा बयान सामने आया। जिला अधिकारी पीएन सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा कि वायरल वीडियो 28 अप्रैल का बताया जा रहा है और 28 अप्रैल को ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। उस दिन मौतों का आंकड़ा तीन या चार था और कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई थी।
जिला अधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि वीडियो वायरल होने के बाद एडीएम सिटी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस पूरे मामले की जांच पड़ताल की। 28 अप्रैल और उससे पहले इस हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की गई थी जिस समय का यह वीडियो वायरल हो रहा है उस समय ऑक्सीजन की किसी भी तरह की किल्लत हॉस्पिटल में नहीं थी।
जिला अधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि हॉस्पिटल पर कार्यवाही की जा रही है, हॉस्पिटल को सीज किया जा रहा है तो वहीं हॉस्पिटल संचालक के ऊपर महामारी अधिनयम के तहत मुकद्दमा लिखा जा रहा है।
जिस डॉक्टर ने ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी होने की बात कहकर हॉस्पिटल में मौत की मॉक ड्रिल कर दी और 22 लोगों की जान ले ली। ऐसे चिकित्सक और उस हॉस्पिटल पर सीज करने व महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। बड़ा सवाल है कि क्या डॉ अरिंजय जैन को बचाने के लिए लचर कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है। पुलिस प्रशासन पीड़ितों की तहरीर पर डॉ अरिंजय जैन के खिलाफ हत्या का मुकदमा क्यों दर्ज नहीं कर रही है।