आगरा में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और बेशर्मी की कहानी किसी से छुपी नहीं है। बार-बार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की कहानी सामने आने के बाद शासन ने स्वास्थ्य विभाग पर कार्यवाही का चाबुक चलाया और सीएमओ सहित 5 अफसरों को पदमुक्त किया लेकिन इसके बाद भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। लापरवाही के चलते एक बार फिर एक प्रवासी मजदूर महिला की जान पर बन आई लेकिन इस बीच एक इंसान ने फरिश्ता बन उस महिला को अस्पताल में भर्ती कराया तब कहीं जाकर महिला की जान बच सकी।
दअरसल पैदल चल रहे प्रवासी मजदूर अपने घर जाने को आगरा के आइएसबीटी पर पहुंच रहे हैं ताकि बस द्वारा अपने घर जा सके। इसी के चलते वेस्ट बंगाल का एक दंपत्ति जो आगरा में ही मजदूरी का काम करता था, घर जाने के लिए आईएसबीटी बस स्टैंड पर पहुंचा था, उसकी पत्नी गर्भवती थी। दंपति जब अपने नंबर का इंतज़ार कर रहा था, इसी दौरान गर्भवती महिला को लेबर पेन के साथ ब्लडिंग शुरू हो गई जिसे देखकर पति घबरा गया और प्रशासन की ओर से लगाये गए लोगों के पास जाकर अपनी पीड़ा सुनाई। इस दौरान मौके पर मौजूद एडीएम प्रोटोकॉल के यहाँ तैनात सचिन सिंह ने यह दृश्य देख तुरंत एम्बुलेंस सेवा के लिए कॉल किया। काफी देर तक कॉल उठा ही नहीं, इसी बीच महिला की तबियत भी बिगड़ने लगी जिसे देख सचिन ने बिना किसी का इंतज़ार किये अपनी गाड़ी से ही उस गर्भवती महिला को आगरा के लेडी लायल हॉस्पिटल लेकर पहुंचा
लेडी लायल अस्पताल में डॉक्टरो ने बिना वार्ड बॉय के स्ट्रेचर देकर सचिन को ही स्ट्रेचर से मरीज को लाने का फरमान सुना दिया। परिस्थितियां देख सचिन सिंह ने इस पूरे मामले की जानकारी डीएम आगरा प्रभु एन सिंह को दी। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लिया जिसके बाद सीएमओ के आदेश पर गर्भवती महिला को एडमिट किया गया।
इस पूरे मामले पर महिला के पति इस्लाम ने बताया कि उसकी पत्नी को बस स्टैंड पर ही दर्द शुरू होने के साथ ही ब्लडिंग शुरू हो गई थी। पीड़ित पति का कहना था कि अगर वह युवक फरिश्ता बनाकर नहीं आता तो पता नहीं क्या होता। इन साहब के आने के बाद ही मेरी पत्नी को इलाज मिल सका और पत्नी की जान बच गयी।
एडीएम प्रोटोकॉल के यहाँ तैनात सचिन का कहना था कि आईएसबीटी पर प्रवासी मजदूरों को लेकर ड्यूटी लगी हुई है। आज जब एक प्रवासी गर्भवती महिला की तबियत बिगड़ी तो एम्बुलेन्स को फोन किया लेकिन एम्बुलेन्स नही पहुँची तो महिला जल्द से जल्द लेडी लायल लाया गया लेकिन यहाँ पर स्टाफ का व्यवहार ठीक नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही के बारे में जब मुख्य चिकित्साधिकारी आरसी पांडेय से बात की गई तो उन्होंने भी इस मामले को गंभीर बताया और इस पूरे मामले पर जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही।