• इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट की दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ, देश में माइक्रोबायोलॉजिस्ट की कमी दूर करने पर जोर
आगरा। भारत में बीमारियों से होने वाली मृत्यु में 48 फीसदी कारण सूक्ष्म जीवों से होने वाला संक्रमण है। इस पर नियंत्रण के लिए मेडिकल माइक्रोबायोलॉजीकल मोल्यीक्यूलर सुविधाओं का बेहतर नेटवर्क की जरूरत है। जिससे संक्रमण की समस्या को प्रारम्भिक अवस्था में जाना जा सके। देश में माइक्रोबयोलॉजिस्ट की काफी कमी है, जिसे दूर किया जाना चाहिए। देश की कुल जनसंख्या की 18 फीसदी आबादी उप्र में है। इसलिए उप्र में इनफेक्शन से होने वाली बीमारियों पर विशेष ध्यान केन्द्रित होना चाहिए। आईसीएमआर के पूर्व डीजी डॉ. बीएम कटोच ने यह बात एसएन मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट की दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कही।
डॉ. बीएम कटोच ने कहा कि जरूरत ग्रामीण क्षेत्रों तक सामान्य चिकित्सकीय सुविधाओं के साथ माइक्रोऑर्गेनिज्म की जांच की सुविधाओं व माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट की कमी को पूरा करने की है। जिससे इनफेक्शन होने पर लोगों को सही समय पर सही जांच होने से सही इलाज मिल सके। भारत सरकार के 2024 तक देश को टीबी मुक्त बनाने की योजना के बारे में कहा कि बहुत तेजी से और अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं। सफलता तो मिलेगी लेकिन कितनी, इसके नतीजे तो 2025 में पता चल पाएंगे। एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. प्रशान्त गुप्ता ने कहा कि किसी भी बीमारी में इलाज शुरु करने का आधार माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट हैं।
कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डॉ. वीएम कटोच, विवि की कुलपति आशु रानी, एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. प्रशांत गुप्ता, इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट प्रो. भारती मल्होत्रा, एसएन माइक्रोबयोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर गोयल, डॉ. शम्पा, डॉ. विनीता मित्तल ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। संचालन डॉ. विकास गुप्ता ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. अमिता जैन, डॉ. केएन प्रसाद, डॉ. मलिनी कपूर, डॉ. रंगमी, डॉ. मुनीष गुप्ता, डॉ. अतुल गर्ग आदि उपस्थित थे।
डॉ. बीएम अग्रवाल को लाइफ टाइम अचीवमेंट प्रदान किया
एसएन मेडिकल कालेज माइक्रोबॉयोलजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. बीएम अग्रवाल को स्मृति चिन्ह व शॉल उढ़ाकर लाइफ टाइम अचीवमेंट प्रदान किया गया। एसजीपीजीआई के डॉ. टीएन ढोल को मरणोपरान्त सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सोविनियर का भी विमोचन किया गया, जिसमें 300 रिसर्च पेपर पब्लिक किए गए हैं।