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बनाया रस्सी का सांप, कोर्ट ने आरपीएफ के ख़िलाफ़ चलाया कानूनी चाबुक, किया तलब

by admin
Made snake of rope, court whips legal whip against RPF, summoned

Agra. खाकी रस्सी का सांप किस तरह से बनाती है इसके तमाम उदाहरण आपने देखे होंगे। ऐसा ही एक ताजा मामला खाकी से ही जुड़ा है लेकिन सिविल पुलिस का नहीं है बल्कि मामला आरपीएफ का है। आरपीएफ आगरा कैंट ने एक मामले में लोकल टूरिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष व टैक्सी चालक अनिल शर्मा को आरोपी बनाया गया था। उन्हें सजायाफ्ता दिखाने के लिए उनके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को खड़ा करके उससे जुर्म कबूल करा लिया। मामला खुला तो न्यायधीश के भी होश उड़ गए। पीड़ित अनिल शर्मा की अपील पर विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरपीएफ पर कानूनी चाबुक चला दिया है। तत्कालीन आरपीएफ इंस्पेक्टर और दरोगा सहित सिपाहियों को न्यायालय के आदेश पर 465 466, 419, 420, 471, 120B गंभीर धाराओं में तलब किया है। न्यायालय के इस आदेश के बाद आरपीएफ में भी हड़कंप की स्थिति मची हुई है।

मामला 2008 का है। पीड़ित अनिल शर्मा ने बताया कि आगरा कैंट स्टेशन पर आरपीएफ को बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं होता। वह एक टैक्सी चालक है और पर्यटकों को कैंट स्टेशन से लाना और छोड़ना उसका काम है। व्यवहारिक होने के कारण कैंट स्टेशन से उसे सवारिया भी मिल जाती हैं लेकिन आरटीओ ऑफिस में रोड़ा बनने लगी। कई बार उसे बिना किसी कारण ही प्लेटफार्म पर बैठा लिया गया और उस पर दबाब बनाने लगे। दवाब में न आने पर उनके खिलाफ मुकदमा किया गया और यह दर्शाया गया था कि अनिल शर्मा अकारण ही प्लेटफार्म पर आते हैं और न्यूसेंस क्रिएट करते हैं।

इस मामले की छानबीन करने पर पता चला कि 28 जून 2008 को आरपीएफ ने उनके नाम से एक फर्जी चालान कर न्यायालय भेजकर अन्य व्यक्ति से जुर्म इकबाल करा दिया है जबकि वह उस दिन वहां मौजूद नहीं था। रेलवे कोर्ट में मुकदमा चलने के बाद यह मुकदमा आगरा दीवानी में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहाँ पहुँचा, जहाँ इस मामले का ट्रायल चल रहा है। 16 मार्च को ही इस मामले में सुनवाई हुई और अपना पक्ष रखा। इस पूरे मामले को लेकर हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की भी मदद ली गई। उसकी मदद से साइन चेक कराए गए तो वह अनिल शर्मा के नहीं निकले।

पीड़ित अनिल शर्मा के वकील ने बताया कि इस पूरे घटनाक्रम में अनिल शर्मा को आरपीएफ ने पूरी तरह से फंसाने का प्रयास किया है न्यायालय के समक्ष यह दिखाने का प्रयास किया गया कि वह एक असामाजिक तत्व है और समाज के लिए खतरा है। इसलिए जज को ही गुमराह कर दिया। किसी और व्यक्ति को जज के सामने खड़ा किया। उसे अनिल शर्मा बनाकर पूरा जुर्म न्यायाधीश के सामने कबूल करा लिया। मामले का खुलासा होने के बाद न्यायाधीश ने तत्कालीन आरपीएफ इंस्पेक्टर आगरा कैंट के. सी सुयाल, सब इंस्पेक्टर आरके ओझा नवल किशोर, कांस्टेबल सत्येंद्र सिंह, आरके शर्मा, आरपी मीना, आर के सोनी को धारा 465, 466, 419, 420, 471, 120B गंभीर धाराओं में तलब करने के आदेश दिए है।

इस आदेश के बाद लोकल टूरिस्ट एसोसिएशन के अध्य्क्ष अनिल शर्मा का कहना है कि उन्हें भारतीय न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है जिन लोगों ने उनके साथ गलत किया है, न्यायालय उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही जरूर करेगा।

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