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इस माँ की दर्द भरी दास्तां में सुनिए कलियुग का सच

by pawan sharma

आगरा। मां बाप अपना सब कुछ त्याग कर बच्चों को पढ़ाते लिखाते हैं और अच्छी नौकरी के लिए बाहर भेजते हैं पर बच्चे बाहर जाते ही अपने माँ बाप को भूल जाते हैं। यहां दो साल से इंदौर की एक बुजर्ग महिला अपने पति के साथ सिर्फ इसलिए रह रही है कि उसका अंतिम संस्कार ढंग से हो जाये। महिला का बेटा इंजीनियर है और कनाडा में किसी हवाई जहाज कम्पनी में एक करोड़ के पैकेज पर काम करता है। इतना कुछ होने के बाद भी कनाडा जाने के बाद आज तक बेटा न वापस आया है और न ही पैसे ही भेजता है। यदा कदा फोन पर बात जरूर हो जाती है और अब वो भी महीनों से बन्द है।

संजय प्लेस में एक चाय के खोखे पर बैठी बुजर्ग महिला लोगों से पूछ रही थी कि थोड़ी देर बैठी रहूँ, दुकानदार हटाएगा तो नहीं। इतने में एक नौजवान युवक आया और बुजुर्ग महिला से कुछ बात की और फिर कुछ दवाओं के खाली ट्यूब लेकर चला गया। कुछ समय बाद युवक वापस आया और महिला को नए दवा के ट्यूब लाकर दिए। महिला युवक से बात करते करते रोने लगी और युवक उन्हें ढांढस बंधवाता रहा। आस-पास खड़े लोगो की निगाहें उन पर टिक गई।

जब हमने मामला जानने की कोशिश की तो हमारे सामने महिला की दर्द भरी कहानी आई। बुजुर्ग महिला का नाम प्रीति ठाकुर है। इनके पति का नाम केवल ठाकुर और बेटे का नाम विकी ठाकुर है। महिला इंदौर की रहने वाली है और राधा स्वामी मत की अनुयायी है। महिला के अनुसार उसके पति आयुर्वेदिक डाक्टर थे और काम सही चलता था। फिर पति हीरों के काम मे लगे जो गैरकानूनी था और उसमें सब गंवा दिया।

बेटे विकी को हमने खूब पढ़ाया लिखाया और इंजीनियर बनाया। तीन साल पहले उसकी नौकरी कनाडा में एक हवाई जहाज बनाने की कम्पनी में लगी और हमने जमा पूंजी खर्च कर उसे भेज दिया। शुरू में दो बार उसने पैसे भेजे फिर बन्द कर दिए। अब जब हमने पूछा कि इंदौर का घर बेच दें तो उसने मना किया। पति का एक्सीडेंट हो गया और कुल्हा बदला गया तो भी वो नहीं आया। कहता है कि उसे चार साल काम करने के बाद छुट्टी मिलेगी। हमने कह दिया है कि अगर हम दो में से एक बचा तो हम मकान बेच देंगे।

बुजुर्ग प्रीति इंदौर से आगरा राधा स्वामी सत्संग सभा मे सत्संग के लिए आई थी। यहां कुछ दिन उन्होंने राम लाल वृद्धाश्रम में गुजारे। वहां बंदिशों में रहना अच्छा नहीं लगा तो इन्होंने नगला पदी न्यू आगरा में किराए का कमरा ले लिया। प्रीति दयालबाग सत्संग सभा मे जाती हैं और वहां उनकी भोजन आदि की व्यवस्था हो जाती है। घर का किराया इधर उधर से लोगों द्वारा मांग कर देती हैं। कोई दवा देता है तो कोई चाय पिला देता है।इस तरह इनका जीवन चल रहा है। पूछने पर कहती हैं कि यह पूर्व जन्म का फल है इसलिए इस जन्म में सत्संग करती हूं ताकि अगली बार सब ठीक हो।

बात करते समय महिला के आंसू देख कर हर कोई दर्द से भर गया। लोग महिला को देख कर सोच रहे थे कि बच्चों को अपने से दूर भेजने पर वो इतना दूर हो जाते हैं कि माँ बाप की हालत भी उन्हें विचलित नहीं करती और वो उन्हें भी भूल जाते हैं।

इस माँ की कहानी आज के दौर में हज़ारों ऐसी माँ से मिलती होगी जो आज चाहे आलीशान बंगले में रह रही हो या फिर एक झोपडी में लेकिन उसकी नम आँखे आज भी उस बेटे के घर आने की राह देखती हैं जिसे न केवल उसने अपने सीने से लगाकर पाला बल्कि उसे पढ़ा-लिखा कर दुनिया के काबिल बनाया। पर शायद उस माँ को ये नहीं मालूम था कि बाहरी दुनिया की भीड़ में वो बेटा अपनी दुनिया को ही भूल जाएगा।

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