आगरा। आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नही है। चाँद तक जा पहुँची महिलाओं ने आज अपनी प्रतिभा से देश में अपनी अलग पहचान बनाई है तो कुछ महिलाओं ने अपने परिवार के साथ साथ गरीब तबके की आधी आबादी के उत्थान के बारे में चिंता की जो मजदूरी करके अपना भरण पोषण करती है और उनके उत्थान के लिए कार्य करके अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं। उनका संघर्ष महिला सशक्तिकरण को बल देता है। पिंकी जैन और हेमलता गोला भी उन्ही महिलाओं में से है जिन्होंने संकट भरे जीवन से गुजरते हुए पीड़ित श्रमिक महिलाओं की सेवा की।
आज पिंकी जैन और हेमलता गोला उत्तर प्रदेश ग्रमीण मजदूर संगठन के दो मजबूत हाथ है। यह संगठन पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है। पिंकी जैन और हेमलता गोला इस संगठन के माध्यम से महिला श्रमिकों की लड़ाई लड़ रही है और उन्हें कुशल श्रमिक बना रही है जिससे उन्हें भी पुरूष श्रमिकों के बराबर मजदूरी और काम मिल सके। आज इनके प्रयास से सैकड़ों महिला श्रमिक कुशल श्रमिक बन चुकी है। इन श्रमिक महिलाओं को राजमिस्त्री, पेंटिंग
सिलाई व अन्य क्षेत्रो में प्रशिक्षित किया है जिससे वो आज अपने पति के साथ बराबर काम करके हाथ बंटा रही है। इन दोनों महिलाओं ने अपने कार्यशैली से संगठन को भी उचाईयों तक पहुँचाया है तो आज सभी महिला श्रमिकों के लिए वो प्रेरणास्रोत बनी हुई है।
विश्व महिला दिवस पर मून ब्रेकिंग की टीम ने उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन की इन महिला पदाधिकारियों से वार्ता की और श्रमिक महिलाओं को कुशल श्रमिक बनाने के साथ-साथ उनकी विभिन्न समस्याओं की लड़ाई लड़ने की जानकारी ली। उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के सचिव पिंकी जैन का कहना है कि भले ही वह आज महिला श्रमिकों की आवाज बन रही हो लेकिन उनका जीवन भी मुश्किलों भरा ही रहा है। महिला सशक्तिकरण और गरीब महिलाओं की आवाज बनने की प्रेरणा उन्हें उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के संस्थापक तुलाराम शर्मा से मिली। अपने जीवन के कुछ अहम पलों को साझा करते हुए संगठन की सचिव पिंकी जैन ने बताया कि परिवार में कुछ ऐसा हुआ कि 12 वर्ष की उम्र में पढ़ाई छूट गई। उस समय वह आगरा के नामनेर क्षेत्र में किराये पर रहती थी। पढ़ने की ललक व परिवार की जिम्मेदारी ने उनका हौसलां टूटने नहीं दिया और एक कारखाने में काम करने जाने लगी। उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन का आफिस घर के बगल में था। एक दिन तुलाराम शर्मा ने देखा और पढ़ने लिए प्रेरित किया। उन्होंने ही मेरा हाई स्कूल का फॉर्म भरवाया। 1995 में मैने तुलाराम शर्मा की मदद से हाई स्कूल किया, तभी उन्होंने मुझे धनोली में बाल श्रमिक स्कूल में बच्चो को पढ़ाने का मौका दिया और मेरी पढ़ाई भी आगे जारी रही। 1999 में धनोली स्कूल की प्रधानाध्यापक बनी। वर्तमान में स्कूल के साथ ही संगठन में भी सचिव की भूमिका संभाल रही हूँ। आज उन्हीं के पदचिन्हों पर चलकर श्रमिक महिलाओं को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही हूं।
उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन की संगठन मंत्री हेमलता गोला की जीवन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। मून ब्रेकिंग से वार्ता करते हुए हेमलता गोला ने बताया कि परिवार में सिर्फ माँ थी इसलिए उनकी शादी जल्दी कर दी गयी लेकिन शादी के बाद उनका जीवन का संघर्ष शुरू हुआ। पति ने छोड़ दिया। इस घटना से माँ को धक्का लगा और उनकी देखभाल का बोझ उनके कंधों पर आ पड़ा। इस हादसे से वो टूटी नहीं। माँ की सेवा और अपने दैनिक जीवन को चलाने के लिए वह मजदूरी करने लगीे। सन 1998 में उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के संस्थापक अध्यक्ष तुला राम शर्मा मजदूरों के उत्थान के लिए मनरेगा की मांग को लेकर मजदूरों के साथ पदयात्रा निकाल रहे थे। उसी दौरान टूंडला चौराहे पर तुलाराम शर्मा से उनकी मुलाकात हुई। चौराहे पर वे भी मजदूरी के लिए खड़ी हुई थी। तुलाराम शर्मा से मुलाकात के दौरान उनसे प्रभावित होकर उन्होने मजदूरी के साथ-साथ अपने क्षेत्र में श्रमिक महिलाओं के उत्थान और उन्हें बराबरी का हक मिले इसके लिए लड़ाई लड़ने लगी। श्रमिक महिलाओं के प्रति उनकी यह लड़ाई देखकर तुलाराम शर्मा ने उन्हें संगठन में संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी और उसके बाद उनकी यह लड़ाई कभी नहीं थमी।
उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के बैनर तले आगरा जिले के साथ साथ उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बाहर भी असंगठित क्षेत्र की महिला श्रमिकों के उत्थान के लिए काम वह कर रही हैं। हेमलता गोला ने लगभग 25 वर्ष के कार्यकाल में महिला श्रमिकों को कार्यस्थल पर बेहतर सुविधा मिलने, शौचालय की व्यवस्था व उन्हें शिक्षित बनाने के लिए काम किया है लेकिन अब वह संगठन के बैनर तले श्रमिक महिलाओं को कुशल श्रमिक बनाने पर जोर दे रही है। हेमलता गोला का कहना है कि आज उन्हें महिला श्रमिकों के लिए काम करके बेहद खुशी होती है।
उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन की सचिव पिंकी जैन और संगठन मंत्री हेमलता गोला का कहना है कि दो दशकों के दौरान उन्होंने महिला श्रमिकों के उत्थान और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के बीच उन्हें कई बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूरों के लिए हुई सेमिनार में भी शिरकत करने का मौका मिला। वहां पर भी उन्होंने दमदारी के साथ महिला श्रमिकों को कुशल श्रमिक बनाने बात को मजबूती के साथ रखा। आज उसी का परिणाम है कि महिला श्रमिक भी पुरुष श्रमिकों के बराबर काम करते हुए समान मजदूरी पा रही हैं और अपने साथ-साथ अपने बच्चों के भविष्य को संवार रही हैं।