पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति के दिग्गज नेता व राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद अब उनके सियासी उत्तराधिकारी का चयन हो गया। मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हुई वर्चुअल मीटिंग में सभी ने सहमति जताते हुए रालोद की कमान जयंत चौधरी को सौंप दी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हुई वर्चुअल मीटिंग में कार्यकारिणी के लगभग 37 सदस्यों ने भाग लिया था।
रालोद की कार्यकारिणी के 34 सदस्यों ने अजित सिंह के उत्तराधिकारी के चयन के लिए जयंत चौधरी के नाम का प्रस्ताव पारित किया गया, जिस पर सभी सदस्यों ने अपनी मंजूरी दी। जयंत चौधरी को राष्ट्रीय लोकदल की बागडौर ऐसे समय में मिला है जब पार्टी सबसे कमजोर स्थिति में खड़ी है। बता दें कि जयंत चौधरी के कंधों पर यह चुनौती ऐसे वक़्त में आई है, जब रालोद का प्रतिनिधित्व न लोकसभा में है और न विधानसभा में है।
पिता अजित सिंह के इस दुनिया से जाने के बाद जयंत चौधरी के कन्धों पर पूरे ‘जाटलैंड’ को संभालने और पार्टी को मजबूत करने का जिम्मा होगा। हालांकि राज्य की बदली सियासी परिस्थितियों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में रालोद को धुरी बनाकर रखना जयंत चौधरी के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा।
1999 में राष्ट्रीय लोकदल का गठन चौधरी अजित सिंह ने किया था। वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। चौ. अजित सिंह के निधन के बाद राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने आज पार्टी के सभी 37 राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की। इस बैठक में जयंत को अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा हो गई है। इस समय पार्टी में अध्यक्ष जयंत चौधरी के अलावा आठ राष्ट्रीय महासचिव, 14 सचिव, तीन प्रवक्ता और 11 कार्यकारिणी सदस्यों समेत 37 पदाधिकारी हैं। 15 साल के अपने राजनीतिक जीवन में जयंत ने पिता के बिना पहली बार कोई बैठक की है।
रालोद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ऑनलाइन बैठक में जयंत चौधरी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद जयंत चौधरी ने 26 मई को किसानों के समर्थन में धरना देने का फैसला किया है। उन्होंने बड़ी संख्या में किसानों से धरने में आने की अपील भी की है।