Agra. सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की ओर से ‘जागो मोहन प्यारे’ अभियान की शुरुआत की गई है। इस अभियान के माध्यम से सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने जनप्रतिनिधियों को दायित्वों के प्रति जागरूक करने की कोशिश शुरू की गई है। आगरा के नागरिकों ने पालने को हिला कर जनप्रतिनिधियों को उठाने का प्रयास किया है।
“सिविल सोसायटी ऑफ आगरा” के अनिल शर्मा ने बताया कि विकास के मुद्दों के प्रति जनप्रतिनियों को उनके दायित्वों का आभास करवा सकने के लिये ‘जागो मोहन प्यारे ‘ अभियान सिविल सोसायटी ऑफ आगरा को शुरू करना पड़ा रहा है। जनप्रतिनिधि भी अपने दायित्वों के प्रति जागृत हो जायें तो जनता की समस्याएं खुद ब खुद कम हो जायेंगी। इतना ही नही नौकरशाही के द्वारा विकास के कार्यों से संबंधित फाइलें लाल फीतों से बाहर आ जायेंगी।
हवाई जहाज से नहीं होगा वायु प्रदूषण
ताजमहल की प्रदूषण से सुरक्षा के नाम पर वाद सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। राज्य सरकार इस वाद में पार्टी है लेकिन राज्य सरकार के द्वारा अब तक अपने एडवोकेट को इस मामले में तारीख लगवाने को प्रयास करने को नहीं कहा गया। नौ विधायक और एक एम एल सी यानि दस में से एक भी अगर सक्रिय हो जाये तो यह मामला स्वत: ही निस्तारित हो जायेगा। सुप्रीम कोर्ट को यह तो बताना ही होगा कि एयर टर्बाइन फ्यूल का इस्तेमाल हवाई जहाज ऑपरेशन में होता है, जिससे किसी प्रकार का उस किस्म का वायु प्रदूषण नहीं होता जो कि ताजमहल को छति पहुंचाने वाला हो। यात्री हवाई जहाज बादलों से भी ऊपर उडते हैं।
वैसे भी हवाई जहाज वायुमंडल की निचली परत में नहीं उडता, टेक ऑफ करते ही बादलों से भी अधिक ऊंचे एलिवेशन पर होता है। जबकि ताज ट्रैपेजियम जोन(टी टी जैड) के अध्ययन दायरे में है 31000 फीट की ऊंचाई पर उड़ने वाला बादल नहीं। समुद्र तल से केवल 350 मीटर की ऊंचाई तक की वायु मंडल परत ही टी टी जैड की गतिविधियों में शामिल है।
‘नॉन पाल्यूटिंग इंडस्ट्रियों में भी आ रही है बाधा‘
आम जनता ही नहीं विशिष्ट जन भी आश्चर्यचकित है कि ‘सिविल एन्कलेव ‘ के शिफ्टिंग प्रोजेक्ट को नये प्रोजेक्ट के रूप में क्यों प्रस्तुत किया गया है। ताज ट्रेपेजियम जोन अथॉरिटी के किसी भी कानून में शिफ्टिंग पर कोई भी पाबंदी नहीं है। जनप्रतिनिधियों को केंद्र सरकार और ताज ट्रेपेजियम जोन अथॉरिटी से इस संबंध में अपना ज्ञानवर्धन प्रभावित पक्ष आम जनता को समझाना चाहिये ।
‘पोटैटो प्रोसेसिंग यूनिट आज तक नहीं लग सकी‘
सिविल सोसायटी के पदाधिकारियों का कहना है कि जनप्रतिनिधयों की नीरसता से आगरा की नान पाल्यूटिंग इंडस्ट्रियों पर भी प्रतिकूल असर पडा है। मैन्यू फैक्चारिंग के अलावा एसैम्बलिंग यूनिटें तक लगाने को अनुमतियों में बाधा आ रही है। आलू की बंपर उत्पादकता वाला क्षेत्र होने के बावजूद आगरा में पोटैटो प्रोसेसिंग यूनिट तक नहीं लग सकी है।
‘पब्लिक ट्रांसपोर्ट जरूरतों के अनुरूप नहीं‘
आगरा स्मार्ट सिटी में आने के बाद भी महानगर की यातायात व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो सका है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम जनता को सस्ता और विश्वसनीय माध्यम बनने के अपने लक्ष्य में पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। मेट्रो रेल से आगरा के मुख्य मार्ग पर आवागमन की सुविधा जरूर बढ जायेगी किन्तु केवल मुख्य मार्ग तक ही। इसकी सीमितता से फीडर ट्रांसपोर्ट सेवाओं का जो विस्तार होगा उससे आम नागरिक की सड़क पर मुश्किलें और जेब पर वजन अधिक बढ़ेगा ही।
‘शिक्षा क्षेत्र में आगरा की साख कम हुई‘
डा भीमराव आंबेडकर विवि के संस्थागत पत्राचार में लापरवाही, एफीलेशन वाले मामलों को बेवजह लटकाये रखना, रिक्त पदों पर नियुक्तियों में अनावश्यक वे मुख्य वजह है जिनके कारण आगरा ने अपने ‘एजूकेशन हब’ स्वरूप ही खो डाला है।
‘सरकारी विभाग पत्रों का जवाब ही नहीं देते‘
हम चाहेंगे कि नगर निगम के कामकाज के साथ स्मार्ट सिटी लिमिटेड की उपलब्धियों पर भी जनप्रतिनिधि तथ्यपरक जानकारियां जनता के समक्ष लायें। वे विधान सभा में जानकारियां प्राप्त करने में सक्षम हैं। जबकि आम नागरिक के पत्रों के जवाब तक शासन के द्वारा मुश्किल में ही दिये जाते हैं। शायद यही कारण है कि ‘जन सूचना का अधिकार -2005’ अधिनियम को उ प्र में अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक उपयोग करने को लोग मजबूर हैं।
‘मौहल्लों- टोलों में पहुंचेगा अभियान‘
सिविल सोसायटी का कहना है कि ‘जागो मोहन प्यारे’ अभियान को तमाम संकोचों और राजनैतिक प्रतिबद्धताओं के बावजूद बडी संख्या में ‘व्हाइट कालर जैंटिलमैनों’ का भी समर्थन है। शहीद स्मारक से ‘जागो मोहन प्यारे ‘अभियान की शुरुआत है और यह रेजिडेंशियल कालोनियों से लेकर आगरा के गली, मोहल्ला व टोलों में भी पहुंचेगा।