आगरा। डोर टू डोर कलेक्शन मामले को लेकर सोमवार को नगर निगम में विशेष अधिवेशन बुलाए गया था। अधिवेशन की अध्यक्षता महापौर नवीन जैन द्वारा की गई। अधिवेशन में सांसद प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल, विधायक योगेंद्र उपाध्याय, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल और पार्षद गण के साथ साथ निगम अधिकारी मौजूद रहे। डोर टू डोर योजना में तकरीबन 35 करोड़ रुपए के हुए घोटाले को लेकर पार्षदों ने इसकी जांच की मांग की थी।
इस विशेष अधिवेशन के दौरान अपर नगर आयुक्त विनोद कुमार गुप्ता ने रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ कि डोर टू डोर कूड़ा उठाने वाली कंपनियों ने जिम्मेदारी के साथ कार्य नही किया है। केवल सिर्फ 10% ही कार्य नजर आता है। जांच के दौरान यह पाया गया कि इन कंपनियों ने जो घरों के पते दिए थे उनमें से अधिकतर फर्जी थे तो बहुत से घरों से तो कूड़ा ही नहीं उठाया गया था। इन कंपनियों ने इन सभी बातों के साथ बिल बनाया और नगर निगम से भुगतान ले लिया। नगर निगम अधिकारी की रिपोर्ट से हुए इस खुलासे ने सभी के होश उड़ा दिए।
पार्षदों का कहना था कि यह तो सभी को साफ दिखाई दे रहा था कि शहर में सफाई के नाम पर डोर टू डोर कलेक्शन कंपनियां सिर्फ खानापूर्ति कर रही है और निगम उन्हें भुगतान पर भुगतान किए जा रहा है। इस दौरान पार्षदों ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करते हुए अधिकारियों पर तीखा हमला बोला। सभी ने इस भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही और डोर टू डोर कलेक्शन कंपनियों पर जो अधिक धन पहुंचा है उसकी रिकवरी की मांग करने लगे।
सदन में मौजूद सभी लोगों आक्रोशित देकर नगर आयुक्त अरुण प्रकाश ने मोर्चा संभाला। उनका कहना था कि पिछले 21 महीने से डोर टू डोर कलेक्शन कंपनियां काम कर रही हैं लेकिन पिछले 7 महीनों से उन्हें किसी भी तरह का भुगतान नहीं किया जा रहा है। अभी मात्र 21 महीने में उन्हें 22 करोड़ का भुगतान हुआ है और उसमें भी 11 करोड़ की रिकवरी कर ली गई है। कूड़ा कलेक्शन में जो गड़बड़ियां हुई हैं उन्हें दूर किया जाएगा और जिन अधिकारियों की कमी है उन पर भी कार्यवाही होगी।
महापौर नवीन जैन ने भी सदन में मौजूद सभी लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि यह बड़ी विडंबना है डोर टू डोर कलेक्शन कंपनियों को शहर को स्वच्छ रखने के लिए लाया गया था लेकिन पिछले कई महीनों से तो शहर की और दुर्दशा होती चली जा रही है। जनता की काली कमाई को भ्रष्टाचार में बदलने में अधिकारियों की भी कोई कमी नहीं छोड़ी है इसलिए इस मामले में जो अधिकारी लापरवाह हैं और भ्रष्टाचार करने वाली कंपनियों के साथ शामिल हैं उन पर एफआइआर कराई जान के साथ-साथ रिकवरी भी की जाएगी।