आगरा। वृंदावन में आपको अगर ठाकुर जी की मंगला आरती का दर्शन करना है तो यह दिन कर लीजिए नोट। जानिए वो ऐतिहासिक तथ्य कि साल में एक बार क्यों होती है बांके बिहारी जी मंदिर में मंगला आरती।
वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर में साल में एक बार ही मंगला आरती होती है। इस मंगला आरती के दर्शन के लिए देश-विदेश से लाखों भक्त ठाकुर जी के दरबार में आते हैं। इस अवसर पर ठाकुर जी पीले वस्त्र धारण करते हैं।
जी हां, कृष्ण जन्माष्टमी पर ही ठाकुर बांके बिहारी जी की मंगला आरती की जाती है। इस दिन ठाकुर जी विशेष वस्त्रों को धारण करेंगे। जन्माष्टमी पर रात 12 बजे उनके विग्रह को दूध, दही, बूरा, शहद, घी से अभिषेक कराया जाएगा। इसके बाद विशेष श्रृंगार होगां।
दरअसल, आपको बता दें कि श्री बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती की पंरपरा नहीं है। ठाकुर जी यहां पर पर बाल स्वरूप में हैं। रात में वह निधिवन में रास रचाने जाते हैं। इसीलिए उन्हें सुबह नहीं उठाया जाता। मंगला आरती साल में एक बार जन्माष्टमी पर ही होती है। इस दिन कान्हा भक्तों को ठाकुर जी के रूप में दर्शन देते हैं।
इस दिन रात करीब एक बजकर 45 मिनट तक दर्शन खुलेंगे। इसके बाद एक बजकर 55 मिनट पर मंगला आरती के दर्शन होंगे। फिर विशेष थालों में ठाकुर जी को भोग लगाया जाएगा।
यह है ऐतिहासिक तथ्य
दरअसल, मान्यता है कि हरिदास जी एक दिन सुबह ही स्नान कर कुटिया में लौटे। तब उन्होंने देखा कि उनके बिस्तर पर कोई सोया हुआ है। उनकी नजर कमजोर हो चुकी थी। इसीलिए वह ठीक से नहीं देख सके। उनके आते ही वहां सोया हुआ व्यक्ति उठकर चला गया। हरिदास जी कुछ समय नहीं सके।
लेकिन तभी मंदिर से एक पुजारी भागता हुआ वहां आया। बोला कि स्वामी जी बिहारी जी के हाथों की वंशी और चूड़ा उनके पास नहीं है। स्वामी जी ने कहा, अभी मेरे बिस्तर पर केाई सोया हुआ था। जब मैं आया तो वह चला गया। जाते हुए उसका सामान यहां रह गया है।
पुजारी ने पास जाकर देखा तो बिहारी जी का चूड़ा और वंशी ही थी, जिससे कि यह प्रमाणित हुआ कि बिहारी जी नित्य वहां रासलीला के बाद यहां विश्राम करने आते हैं। तब इस चमत्कार का पता चला कि सुबह जल्दी मंगला आरती के कारण ठाकुर जी को निधिवनरास मंदिर से बांके बिहारी मंदिर आने की जल्दी होती है। जल्दी के चक्कर में उनका चूड़ा और वंशी वहीं रह गई।
मान्यता है कि तभी से फैसला किया गया कि ठाकुर जी बांके बिहारी मंदिर में बालरूप में हैं और मंगला आरती से उनकी नींद में विघ्न पड़ता है। इसीलिए यहां सुबह मंगला आरती नहीं की जाती।