Agra. किसान बिल (Kisan Bill) का विरोध प्रदर्शन कर रहे देश के अन्नदाता किसानों पर बर्बरता पूर्वक हुए लाठीचार्ज (Lathicharge) के विरोध में भारतीय किसान यूनियन (भानू) के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। भारतीय किसान यूनियन भानु गुट के पदाधिकारियों के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने आगरा लखनऊ इनर रिंग रोड (Agra – Lucknow Inner Ring Road) पर पजमकर प्रदर्शन किया। सभी किसान एकजूट होकर आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे के रहनकला टोल (Rahankala Toll) पर धरने (Strike) पर बैठ गए और किसानों पर हुए लाठीचार्ज का विरोध करने लगे।
किसानों के रहनकला टोल प्लाजा पर धरने पर बैठ जाने के कारण पुल (Bridge) पर जाम लग गया। टोल से गुजरने वाली गाड़ियां निकल नहीं सकी जिससे कई किलोमीटर लंबा जाम (Traffic Jam) लग गया। किसानों के टोल प्लाजा पर प्रदर्शन की सूचना मिलते ही क्षेत्रीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए और किसानों को समझाने का प्रयास कर आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे से हट जाने की बात कहते रहे।
भारतीय किसान यूनियन (भानू) के जिला अध्यक्ष बृजमोहन सिसोदिया (Brijmohan Sisodiya) का कहना था कि पहले इस सरकार द्वारा नारा लगाया जाता है कि जय किसान जय जवान पर, ये सरकार जवान को किसान से लड़ाने का काम कर रही है। आज किसान का बेटा ही इस सरकार के कारण किसान के विरोध में खड़ा हो गया है और किसानों पर लाठी बरसा रहा है। जिला अध्यक्ष बृजमोहन सिसोदिया का कहना था कि किसान कोई आतंकवादी (Terrorist) नहीं है जिस पर इस तरह बर्बरतापूर्ण लाठियां बरसाई जा रही हैं। किसान शांति तरीके से केंद्र सरकार (Central Government) के कृषि बिल का विरोध कर रहे हैं तो सरकार को उनकी बात सुनी चाहिए। अगर सरकार ने किसानों की मांग नही मानी तो किसान उग्र आंदोलन (Movement) के बाध्य होगा।
भारतीय किसान यूनियन गुट के एक अन्य पदाधिकारी का कहना था कि किसान अन्नदाता है न की कोई आतंकवादी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में आज देश के अन्नदाता के साथ किसी आतंकवादी से कम का सलूक नहीं किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने किसान विरोधी कृषि बिल को तानाशाही (Dictatorship) तरीके से लागू कर दिया और किसानों की बात भी नहीं सुनी जा रही है। किसानों ने साफ कर दिया है कि अगर दिल्ली में किसानों का स्वागत लाठियों से किया जाएगा तो कोई दिल्ली वाला भी आगरा नहीं पहुंच पाएगा। आज यह टोल पर धरना प्रदर्शन सांकेतिक रूप से था। अगर सरकार किसानों की बात नहीं सुनेगी तो दोनों पर अनिश्चितकालीन धरना भी शुरू हो सकता है।