आगरा। पारस हॉस्पिटल के मॉक ड्रिल का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। अपनों को खोने वाले परिजनों के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि प्रशासन ने इस हॉस्पिटल के संचालक को क्लीन चिट देकर उनके जख्मों पर नमक नमक छिड़कने का काम कर दिया। स्थानीय प्रशासन की इस कार्यप्रणाली के विरोध में सामाजिक संगठनों के साथ-साथ राजनीतिक दल भी जिला अधिकारी पीएन सिंह और जांच टीम को आड़े हाथ ले रही है तो वहीं अब सामाजिक संगठन ‘हमारा आगरा’ ने भी स्थानीय प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
हमारा आगरा संस्था के अध्यक्ष ओम शर्मा ने इस मामले में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को पत्र लिखा है और इस मामले में हस्तक्षेप कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की है। संस्था के अध्यक्ष ओम शर्मा का कहना है कि वायरल वीडियो में हॉस्पिटल संचालक खुद मौत की मॉक ड्रिल की बात कह रहे हैं लेकिन जांच टीम ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। टीम ने जो रिपोर्ट पेश की उसने मृतकों और उनके परिजनों के साथ एक भद्दा मजाक किया है। ओम शर्मा का कहना है कि इस रिपोर्ट के माध्यम से जिलाधिकारी आगरा पीएन सिंह ने पारस हॉस्पिटल को नहीं बचाया बल्कि खुद को बचाया है क्योंकि जिलाधिकारी ने कहा कि उन दिनों ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी और हॉस्पिटल संचालक वायरल वीडियो में ऑक्सीजन की कमी की बात कह रहे हैं।
हमारा आगरा संस्था के अध्यक्ष ओम शर्मा का कहना है कि पारस हॉस्पिटल के संचालक अरिंजय जैन के मुताबिक उन्होंने विनिंग प्रोसेस किया था जबकि एक साथ इतने मरीजों पर यह प्रोसेस नहीं किया जा सकता। वह इस विनिंग प्रोसेस के आड़ में मौत की मॉक ड्रिल को सही नहीं ठहरा रहे है जिससे उस दिन ऑक्सीजन की कमी से मौत होने का सच सामने न आये, अगर ऐसा हुआ तो सरकार पर तमाम सवाल उठेंगे। लोग मुआवजे की मांग करेंगे। सरकार की छवि खराब होगी इसीलिए जिलाधिकारी ने डॉ अरिंजय जैन को बचाते हुए खुद को बचाया है।
संस्था ने राज्यपाल से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की जांच सेवानिवृत्त जज से कराई जाए जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। क्योंकि जो दोषी पक्ष है वह खुद कैसे रिपोर्ट तैयार कर अपने आप को निर्दोष साबित कर सकता है। ओम शर्मा ने साफ कहा है कि जब तक मृतकों और पीड़ितों को न्याय नहीं मिलेगा हमारा आगरा संस्था इस लड़ाई को जारी रखेगी।