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नौनिहालों को योग और ध्यान का बताया महत्व, एकाग्रता बढ़ाने के दिए टिप्स

by pawan sharma
  • स्वास्तिक वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा बच्चों के लिए रखी गयी आर्ट आफ लिविंग की कार्यशाला
  • रुचिरा ढल ने ली बच्चों की क्लास, खेल खेल में हुआ स्मृति बढाने का टेस्ट भी
  • प्रत्येक शुक्रवार को महिलाओं और रविवार को बच्चों के लिए लगती है आध्यात्मिक क्लास

आगरा। समाज में सनातन संस्कृति के महत्व को बढ़ाना है और उसकी नींव को दृढ़ रखना है तो नौनिहालों को संस्कारों से जोड़ना होगा। इसी परिपाटी पर चलते हुए स्वास्तिक वेलफेयर ट्रस्ट ने बच्चों के लिए आर्ट आफ लिविंग की कार्यशाला का आयोजन किया।

रविवार को 68, मंगलम एस्टेट, दयालबाग स्थित स्वास्तिक आध्यात्मिक केंद्र पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। हनुमान चालीसा के पाठ और राम नाम जाप के बाद बच्चों ने खेल-खेल में योगा और ध्यान के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को जाना। अन्तर्राष्ट्रीय योगा इंन्स्ट्रक्टर रुचिरा ढ़ल ने बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए स्मृति एवं एकाग्रता बढ़ाने के आवश्यक टिप्स दिए। मैमोरी बूस्टर गेम में बच्चों ने अत्याधिक आनंद लिया।

रुचिरा ढल ने बताया कि आर्ट आफ लिविंग में दर्जनों कोर्स बच्चों को कुशाग्र बुद्धिशाली बनाने के लिए हैं। बच्चों को थोड़ा सा यदि समय शिक्षा के साथ साथ ध्यान के लिए भी माता पिता दें तो उनकी एकाग्रता और बुद्धिक्षमता दोगुनी गति से विकास करती है। संस्था की अध्यक्ष विनीता मित्तल ने बताया कि बच्चों में सनातन संस्कारों का बीज रोपित करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रत्येक शुक्रवार को महिलाओं और प्रत्येक रविवार को बच्चों के लिए सुदर्शन क्रिया, जप और ध्यान की कार्यशाला के साथ साथ आध्यात्मिक चिंतन के लिए आध्यात्मिक पुस्तकालय में चर्चा परिचर्चा का आयोजन किया जाता है।

कार्यशाला की व्यवस्थाएं श्रुति दास, आकृति जिंदल, पल्लवी अग्रवाल, तनु गुप्ता ने संभालीं।

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