Agra. जिला अस्पताल में जन सूचना अधिकार के तहत सूचनाएं नहीं मिल रही हैं। समाजसेवी का निधि पाठक की ओर से दवाइयों और एक्स रे मशीन इत्यादि को लेकर आरटीआई डाली गयी थी और उनकी खरीद फ़रोख़्त की जानकारी मांगी थी लेकिन उन्हें इससे संबंधित कोई उचित जानकारी जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से नहीं मिल रही है जबकि उन्होंने खरीद-फरोख्त से संबंधित कागजों की जांच पड़ताल के लिए संबंधित फीस भी जमा की है।
समाजसेवी निधि पाठक और आरटीआई एक्टिविस्ट नरोत्तम सिंह जन सूचना अधिकार 2j1 के तहत मेडिसिन की खरीद-फरोख्त से संबंधित कार्यों का निरीक्षण करना चाहते थे लेकिन जिला अस्पताल के जन सूचना अधिकारी एवं सीएमएस डॉ. ए के अग्रवाल ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। उनका कहना था कि किसी को पर्सनल डिटेल नहीं दी जा सकती जबकि आरटीआई एक्टिविस्ट नरोत्तमदास और समाजसेवी का निधि पाठक का कहना था कि इस सेक्शन के तहत उन्हें कागज लेने का अधिकार है जो भ्रष्टाचार से जुड़े हुए हो।
जिला अस्पताल में हुई गहमा गहमी
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान समाजसेवी निधि पाठक, आरटीआई एक्टिविस्ट नरोत्तमदास और जिला अस्पताल सीएमएस ए के अग्रवाल के बीच गहमागहमी हो गई। ए के अग्रवाल ने कहा कि आरटीआई से संबंधित उन्होंने कई बैठकें की है लेकिन पर्सनल डिटेल लेने का कोई अधिकार नहीं होता जबकि आरटीआई एक्टिविस्ट नरोत्तम दास का कहना था कि 2j1के तहत वह फीस जमा करके भ्रष्टाचार से जुड़े कागजों की जांच पड़ताल कर सकते हैं और उन्हें ले भी सकते हैं। इस बीच दोनों ओर से गहमागहमी हुई। सीएमएस ए के अग्रवाल ने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर आयोग या फिर हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट उनसे कहेगा तभी वह यह कागज दे पाएंगे।
समाजसेवी निधि पाठक का कहना था कि उन्होंने जिला अस्पताल प्रशासन से दवाइयों और एक्स-रे विभाग से संबंधित सूचनाएं मांगी थी। सरकार की ओर से जिला अस्पताल में इतनी दवाइयां आती हैं लेकिन फिर भी मरीजों को बाहर से दवाइयां लेनी पड़ती हैं। दवाइयों में भ्रष्टाचार का खेल है तो वहीं एक्स-रे विभाग के लोग भी एक्स्ट्रा कराने के लिए आने वाले मरीजों को टाल देते हैं और उनसे कह देते हैं कि बाहर से जाकर एक्सरा करवा ले। अगर यही सब जिला अस्पताल में चल रहा है तो सरकार की ओर से आने वाली दवाइयां जिनकी खरीद-फरोख्त की जाती है और एक्शन विभाग से संबंधित मशीन और फिल्म की खरीद पर होने पर वह कहां चले जाते हैं। इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इसीलिए जिला अस्पताल प्रशासन आरटीआई के तहत मिले अधिकारों के तहत भी सूचनाएं नहीं दे रहा है।
समाजसेवीका निधि पाठक का कहना है कि जिला अस्पताल के जन सूचना अधिकारी को सूचना के अधिकार की कोई भी जानकारी नहीं है। वह धारा 18 (1) में जनसूचना अधिकारी की आयोग में शिकायत करेगी। उनका कहना है कि जन सूचना अधिकार की उचित जानकारी न होने के बावजूद उनके साथ अभद्र भाषा और अभद्र व्यवहार किया गया।
आरटीआई एक्टिविस्ट नरोत्तम दास का कहना है कि हो सकता है कि जिला अस्पताल के जन सूचना अधिकारी को जन सूचना अधिकार की पूरी जानकारी हो और वह जानबूझकर अनजान बनकर सूचनाएं देने से इंकार कर रहे हों। इस पूरे मामले को आयोग ले जाया जाएगा और जिला अस्पताल के खिलाफ उचित कार्रवाई भी कराई जाएगी।