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अस्पताल का कारनामा, 12 लाख लेने के बाद दिया पत्नी का शव, पति ने मुख्यमंत्री से की शिकायत

by admin
Hospital's work, after taking 12 lakh, wife's body, husband complained to the Chief Minister

आगरा। जिले के एक निजी अस्पताल के खिलाफ एक पीड़ित युवक ने मुख्यमंत्री और प्रशासन को तय कीमत से अधिक बिल वसूलने पर शिकायत पत्र लिखा और अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है। पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने उसकी पत्नी का शव करीब 8 घंटे बाद पुलिस के हस्तक्षेप करने पर दिया। पीड़ित अस्पताल के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहा है।

थाना सिकंदरा क्षेत्र के अंतर्गत सिनर्जी हॉस्पिटल में पीड़ित राकेश सिंघल ने अपनी पत्नी अमृता सिंघल को ऑक्सीजन लेवल कम होने पर 28 अप्रैल को भर्ती कराया था जिसके बाद से उनकी पत्नी का इलाज अस्पताल में चल रहा था। राकेश सिंघल ने बताया उन्होंने जब अपनी पत्नी को हॉस्पिटल में भर्ती कराया था तो उस समय अस्पताल प्रशासन को यह जानकारी दे दी गई थी कि उनके पास बीस लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस भी है जिसके अनुसार उन्होंने अस्पताल को इंश्योरेंस का क्लेम लेने के लिए सारी प्रक्रिया शुरू करने की बात भी कह दी थी।

राकेश सिंघल ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन को पहले से ही बताने के बावजूद वह उनकी पत्नी के इलाज के खर्चे का बिल लगातार नहीं बना रहे थे जिसके लिए पीड़ित ने बार-बार अस्पताल प्रशासन को चेताया था और कहा था कि अगर बिल नहीं बनेंगे तो इंश्योरेंस कंपनी उन्हें क्लेम नहीं दे सकेगी लेकिन फिर भी अस्पताल प्रशासन अपनी तरफ से पीड़ित की पत्नी के इलाज में लगने वाले खर्चे का बिल इंश्योरेंस कंपनी को फॉरवर्ड नहीं कर रहा था।

पीड़ित राकेश सिंघल ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने उनसे शुरुआत में ही दो लाख एडवांस ले लिया था। जब भी उनकी पत्नी को किसी भी इंजेक्शन और दवाई की जरूरत होती थी तो वह पीड़ित को ही बाहर से अपने खर्चे पर लानी पड़ती थी।

पीड़ित ने बताया कि 25 मई को सुबह उनकी पत्नी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई जिसके बाद उन्होंने अस्पताल प्रशासन से उनकी पत्नी का शव उन्हें सुपुर्द करने के लिए कहा, लेकिन अस्पताल प्रशासन टालमटोल करने लगा, साथ ही जब उन्होंने अस्पताल प्रशासन से इंश्योरेंस क्लेम के बारे में पूछा तो करीब 4 घंटे बाद पीड़ित के हाथों में पंद्रह लाख का बिल थमा दिया, साथ ही बारह लाख रुपए की मांग करने लगे। किसी तरह से पीड़ित जिला प्रशासन और एसपी सिटी को इस समस्या के बारे में अवगत कराया जिसके बाद 12 लाख रुपये का चेक लेकर पीड़ित को उनकी पत्नी का शव करीब 8 घंटे बाद मिल सका।

पीड़ित ने बताया कि उनके पास बीस लाख रुपए का इंश्योरेंस और कैशलेस सुविधा होने के बावजूद बारह लाख का चेक अपनी पत्नी के शव को लेने से पहले देना पड़ा। उनका कहना है कि सरकार द्वारा किसी भी कोरोना मरीज के लिए पांच लाख अधिकतम खर्चा तय किया गया है लेकिन इस तरह के निजी अस्पताल लोगों से लूट करने में लगे हुए हैं, इसीलिए उन्होंने मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन को पत्र लिखकर इस अस्पताल पर कार्रवाई करने और उनके पैसे वापस कराने की मांग की है।

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