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आगरा की रणनीति से हरिद्वार कुम्भ होगा खास, बनेगा चाइल्ड फ्रेंडली, जाने कैसे

by admin
Haridwar Kumbh will be special with Agra's strategy, will become child friendly, know how

आगरा। कुंभ का नाम आते ही बिछुड़ने वाली बात दिमाग में आ जाती है। बच्चों से भीख मंगवाने वाली घटनाएं सामने आती हैं लेकिन इस बार हरिद्वार प्रशासन चाइल्ड फ्रेंडली कुम्भ का आयोजन करेगा। इसके लिए आगरा के चाइल्ड राइट एक्सपर्ट नरेश पारस को मेला प्रशासन ने प्रशिक्षक के रूप में आमंत्रित किया है। इस थीम पर काम शुरू हो चुका है। हरिद्वार के एचारडीए ग्राउण्ड में पुलिस तथा प्रशासन द्वारा कुम्भ मेले को लेकर ब्रीफिंग की गई। पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स, नेहरू युवा केंद्र, प्रोबेशन विभाग तथा स्वंयसेवकों को विस्तार बाल अधिकार कानूनों की जानकारी दी गई।

जिसमें जिला प्रोबेशन विभाग के संयोजन में चाइल्ड राइट एक्सपर्ट एवं महफूज सुरक्षित बचपन के नरेश पारस ने बताया कि इसबार चाइल्ड फ्रेंडली कुम्भ बनाया जाएगा। बच्चे खोएं न इसके लिए एक बाल पर्ची डिजाइन की गई है जो आने वाले हर बच्चे की जेब में डाली जाएगी जिसमें उसका पूरा ब्यौरा दर्ज होगा। लापता होने पर बच्चे को आसानी से ढूंढा जाएगा। बाल भिक्षावृत्ति पर पाबंदी लगाने का प्रयास किया जाएगा। भीख मंगवाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। बालश्रम को भी रोका जाएगा। बच्चों के साथ होने वाले शोषण से भी निपटा जाएगा। बच्चों के मामलों के निपटारे के लिए बाल कल्याण समिति का रोस्टर जारी होगा। बाल न्यायपीठ हर समय उपलब्ध रहेगी। भल्ला कॉलेज में नरेश पारस द्वारा स्वंयसेवकों को प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण विभिन्न चरणों में दिया जाए। पुलिस बल को भी बाल कानूनों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

Haridwar Kumbh will be special with Agra's strategy, will become child friendly, know how

आईजी कुम्भ संजय गुंज्याल ने चाइल्ड फ्रेडली थीम को सराहा। उन्होंने कहा इससे पूरे विश्व को संदेश दिया जा सकता है। इसे धरातल पर लागू करने का प्रयास किया जाएगा। डीएम सी. रविशंकर ने कहा कि कोविड की महामारी के दौरान विश्व का सबसे बड़ा आयोजन महाकुंभ कराया जाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। इस मौके पर उपस्थित सभी अधिकारियों, कर्मचारियों एवं स्वंयसेवकों को कोविड की गाइडलाइंस का पालन करते हुए अपनी ड्यूटी पूर्ण निष्ठा से किए जाने के निर्देश दिए गए। ताकि हरिद्वार महाकुंभ 2021 चाइल्ड फ्रेंडली कुम्भ के रूप में इतिहास में दर्ज हो सके। नरेश पारस इससे पूर्व प्रयागराज अर्धकुम्भ में यह प्रयोग कर चुके हैं जो सफल रहा।

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