हिजाब, अजान और हनुमान चालीसा के बीच अब मध्य प्रदेश के इंदौर में उर्दू हनुमान चालीसा की एंट्री हो गई है।इंदौर में उर्दू में लिखी हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण की मांग अचानक बढ़ गई है। पहले जहां एक दिन में 200 के आसपास धर्म की किताबें बिकती थीं, पिछले कुछ दिनों से ये डिमांड दोगुनी हो गई है।
उर्दू में हनुमान चालीसा
राजवाड़ा स्थित सरदार सोहन सिंह बुक सेलर दुकान पर लोग उर्दू की किताबें खरीदने पहुंच रहे हैं। यह उर्दू की किताब हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण की है। उर्दू में किसी धर्म की किताब को देखकर आप समझेंगे कि यह कुरान है, लेकिन यह कुरान नहीं बल्कि हनुमान चालीसा है। हनुमान चालीसा का पाठ इंदौर में उर्दू में किया जा रहा है।
कौन लोग खरीद रहे हैं
दुकानदार ने बताया सिंध से विस्थापित लोग जिन्होंने इंदौर में शरण ली थी उन्हें यहां की नागरिकता भी मिल चुकी है। इस समुदाय के लोग सालों तक पाकिस्तान में रहे इसलिए इन्हें उर्दू भाषा में बोलना और पढ़ना हिंदी की अपेक्षा ज्यादा आसान लगता है। इस समुदाय के लोग उर्दू भाषा में हनुमान चालीसा, रामायण और सुंदरकांड की किताब खरीदने आ रहे हैं।
हनुमान चालीसा की तरफ युवाओं का झुकाव
पिछले कुछ दिनों से उर्दू में लिखी गीता की डिमांड भी बढ़ गई है। सबसे खास बात है कि ज्यादा संख्या में युवा पीढ़ी के लोग हनुमान चालीसा खरीदने दुकान पर पहुंच रहे हैं। दुकानदार ने कहा कि पिछले कई सालों के मुकाबले पिछले कुछ महीनों में युवाओं ने सबसे ज्यादा हनुमान चालीसा खरीदी है।उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी हनुमान चालीसा से जुड़ती हुई नजर आ रही है। एक तरफ देश में जहां हिजाब, अजान और हनुमान चालीसा को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है तो वहीं इंदौर में युवा पीढ़ी भारी मात्रा में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की किताबों की खरीददारी कर रही है। उर्दू में लिखी हुई सुंदरकांड की किताब भी जमकर डिमांड में है।