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400 साला बंदी छोड़ दिवस के उपलक्ष्य में आगरा से 4 अक्टूबर को रवाना होगी गुरुधाम दर्शन यात्रा

by admin
Gurudham Darshan Yatra will leave from Agra on October 4 to commemorate 400 years of captive Chhor Diwas

Agra. 400 साला बंदी छोड़ दिवस के उपलक्ष्य में गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ पर विशेष समागम होने जा रहा है। इस समागम में आगरा की संगत भी भाग लेंगी। इसके लिए गुरुधाम दर्शन यात्रा 4 अक्टूबर को गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ ग्वालियर किले के लिए रवाना होगी। जिसकी जानकारी गुरुद्वारा दशमेश दरबार शहीद नगर पर हुई बैठक के दौरान दी गयी।

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने बताया कि गुरुघर की खुशियों के लिए 400 साला बंदी दिवस की खुशी में गुरधाम दर्शन यात्रा 4 अक्टूबर को सुबह 6:30 बजे गुरुद्वारा दशमेश दरबार विभव नगर से प्रस्थान करेगी। यात्रा का पहला पड़ाव होगा गुरुद्वारा शेर शिकार धौलपुर, दूसरा पड़ाव गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ ग्वालियर किले पर होगा और उसके साथ ही गुरद्वारा फूल बाग के दर्शन के लिये रवाना होगी।

संगतो के लिए एक तरह का ड्रेस कोड है:-

श्याम भोजवानी ने बताया कि इस यात्रा में शामिल होने वाली संगत के लिए ड्रेस कोड तैयार किया गया है। सफेद सूट दुपट्टा बहनों के लिए वही वीर भाइयों के लिए सफेद कुर्ता पजामा। नीली दस्तार पगड़ी, दुपट्टा व दसतार पगड़ी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से होगी जिस किसी को यात्रा की जानकारी के लिए संपर्क करना है या यात्रा में चलना है, वह प्रधान हरपाल सिंह से संपर्क कर सकते हैं। वे पहले भी 150 संगतो का जत्था श्री ननकाना साहिब पाकिस्तान की यात्रा करा चुके है।

गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ का इतिहास:-

ग्वालियर का किला जब मुगलों के कब्जे में आया तो उन्होंने इसे जेल बना दिया। यहां राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण और बादशाहत के लिए खतरा माने जाने वाले लोगों को कैद रखा जाता था। मुगल बादशाह जहांगीर ने भी इसमें 52 अन्य राजाओं के साथ 6 वें सिख गुरू हरगोविंद साहब को कैद रखा था। कहा जाता है कि किसी रूहानी हुक्म से बादशाह ने आज के दिन ही गुरू हरगोविंद साहब को उनकी इच्छा के मुताबिक 52 राजाओं के साथ रिहा किया था। इसकी याद में किले पर गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ का निर्माण कराया गया।

हरगोविंद साहिब के साथ रिहा हुए 52 कैदी:-

इतिहास के मुताबिक जहाँगीर ने गुरु हर गोबिंद साहिब को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया था। उन्हें लगभग दो साल तक कैद में रखा। बताया जाता है कि गुरू हरगोविंद को कैद किए जाने के बाद से जहांगीर को स्वप्न में किसी फकीर से गुरू जी को आजाद करने का हुक्म मिलने लगा। जहांगीर मानसिक रूप से परेशान रहने लगा। इसी दौरान मुगल शहंशाहों के किसी करीबी फकीर ने उसे मशविरा दिया कि वह गुरू हरगोविंद साहब को तत्काल रिहा कर दे लेकिन गुरू अड़ गए कि उनके साथ 52 राजाओं को भी रिहा किया जाए। लिहाजा उनके साथ 52 कैदियों को भी छोड़ दिया गया।

गुरू जी के इस कारनामे की वजह से उन्हें दाता बंदी छोड़ कहा गया। बाद में उनकी इस दयानतदारी की याद बनाए रखने के लिए ग्वालियर किले पर उस स्थान पर एक गुरुद्वारा स्थापित कराया गया, जहां गुरू हरगोविंद साहब 52 राजाओं के साथ कैद रहे थे। गुरू जी के नाम पर इसका नाम भी गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ साहिब रखा गया।

गुरू हरगोविंद साहब के नाम पर बना गुरु द्वारा:-

‘गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़’ 6 वें सिख गुरु हरगोबिंद साहिब का स्मारक है। इतिहास के अनुसार राजा जहाँगीर ने गुरु गोबिंद साहिब को ग्वालियर के किले में बंदी बनाकर लगभग दो साल तीन माह तक कैद में रखा गया था। गुरु हरगोबिंद सिंह की याद में 1968 में संत बाबा अमर सिंह जी ने गुरुद्वारे की स्थापना करवाई थी। करीब 100 किलो सोने का इस्तेमाल कर गुरुद्वारे का दरबार बनाया गया है।

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