- 101 मरीजों की जगह 151 मरीजों का होगा मोतियाबिन्द का ऑपरेशन
- महाराजा अग्रसेन सेवा समिति व श्रीअग्रवाल संध ट्रस्ट द्वारा लोहामंडी स्थित महाराजा अग्रसेन भवन में आयोजित चिकित्सा शिर में 1232 लोगों ने लिया लाभ
आगरा। महाराजा अग्रसेन सेवा समिति व श्रीअग्रवाल संध ट्रस्ट अब 101 के स्थान पर 151 मोतियाबिन्द के निःशुल्क ऑपरेशन कराएगा। यह निर्णय शिविर में पहुंचे जरूतमंद मरीजों की अधिक संख्या के कारण लिया गया। लोहामंडी महाराजा अग्रसेन भवन में आयोजित निःशुल्क शिविर में कुल 1232 मरीजों में से 628 मरीज आंखों का परीक्षण कराने पहुंचे। इसके अलावा पेट, त्वचा, नाक, कान, गला, स्त्री रोग, हड्डी, बच्चों व बुजुर्गों में सीजनल बुखार, खांसी जुकाम की समस्याओं को लेकर मरीज अपना परीक्षण कराने पहुंचे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि उप्र लघु उद्योग निगम लि. के अध्यक्ष राकेश गर्ग, डीआईजी केशव चैधरी, एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. प्रशांत गुप्ता, महाराजा अग्रसेन सेवा समिति के अध्यक्ष मोहनलाल, महासचिव डॉ. वीडी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष घनश्याम दास अग्रवाल, सरजू बंसल, प्रोफेसर एससी अग्रवाल सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने महाराजा अग्रसेन की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ किया। कहा कि इतने बड़े स्तर पर जरूतमंद मरीजों की सेवा और उसे व्यवस्थित करना सराहनीय कार्य है। शिविर सुबह 8 बजे से प्रारम्भ होना था, लेकिन मरीज निर्धारित समय से पहले प्रातः 6 बजे से ही शिविर में पहुंचना प्रारम्भ हो गए। परचों के लिए 6 काउंटर सहित दवा वितरण, परीक्षण के कुल 32 काउंटर बनाए गए थे। खास बात यह रही कि 20 छोटे बच्चों में डायबिटीज की पहचान हुई। जिससे समय रहते उपचार की दिशा में कदम बढ़ाए जा सके। हेपेटाइटिस की जाँच एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ. अंकुर गोयल और डॉ. सपना गोयल की देखरेख में की गई। डॉ. श्वेता अग्रवाल, बरेली ने मोतियाबिंद ऑपरेशनों के लिए 11,000 रुपये का योगदान दिया, जबकि डॉ. मयंक महाजन, आई सर्जन ने 732 रजिस्ट्रेशन किए।
250 मरीजों के फाइब्रोस्केन में 60 मरीजों को निकली लिवर की समस्या
शिविर में पेट सम्बंधित समस्या लेकर लगभग 335 मरीज पहुंचे। जिसमें से 250 का फाइब्रोस्केन किया गया। 60 मरीजों को लिवर से सम्बंधिक परेशानी थी। 25 मरीजों को लिवर सिरोसिस और बाकी ग्रेड 1-3 तक की फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे थे। चैकाने वाली बात यह ती कि इन्हें अपनी बीमारी के विषयमें पता ही नहीं। डॉ. दीपक बंसल ने बताया कि समस्या का मुख्य कारण शराब व इसके अलावा डायबिटीज, मोटापा, हिपेटाइसिस ए, बी, सी भी है। पहले लिवर फैटी होता है फिर सिकुड़ने से लिवर सिलोटिक हो जाता है, जिसे लिवर सिरोसिस कहते हैं। शुरुआत में पता लग जाए तो समस्या को ठीक किया जा सकता है। सिरोसिस होने स्टेज 4 तक की रिकवरी हो सकता है। फाइब्रोस्केन वैल्यू 15 से अधिक होने पर लिवर का रिवर्सेबिल होना मुश्किल हो जाता है।
24 डॉक्टरों ने दी शिविर में सेवाएं
शिविर में 24 ड़क्टरों की अनुभवी टीम ने स्वास्थ्य सेवाएं दीं। डेंटल सर्जन डॉ. रचना अग्रवाल ने 170 रजिस्ट्रेशन और डॉ. निखिल पुरुसनानी ने 190 रजिस्ट्रेशन किए। फार्माटेक कंपनी ने निःशुल्क दवाइयाँ प्रदान कीं और कपूर ऑप्टिकल्स द्वारा निःशुल्क चश्मों का वितरण किया गया। इस आयोजन में डॉ. वीके अग्रवाल, डॉ. अजय महाजन, डॉ. रिधिमा महाजन, डॉ. आकृति गर्ग, डॉ. ध्रुव महाजन, डॉ तिरूपति नाथ शर्मा, डॉ कुशल सिंघ समेत अनेक प्रतिष्ठित चिकित्सकों की उपस्थिति रही। अध्यक्ष मुकुल गर्ग, कार्यकारी अध्यक्ष अनुराग मित्तल, गौरव मित्तल, राजकिशोर गर्ग, आशीष गर्ग, नितिन जैन, राजीव अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, रजनी अग्रवाल, सिंपल अग्रवाल, दीपा गर्ग, रीना सिंघल पायल गर्ग, डिम्पल अग्रवाल, सुनील विकल, चितरमल, समर्पण ब्लड बैंक के ब्रज मोहन अग्रवाल आदि ने भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। समर्पण ब्लड बैंक के सहयोग से 60 यूनिट लोगों ने रक्तदान किया है।