किसानों ने खारिज किया सरकार द्वारा भेजा गया प्रस्ताव
किसान आंदोलन को बीत चुके करीब दो हफ्ते से ज्यादा
सरकार ने किसानों के पास भेजा था प्रस्ताव
प्रस्ताव में पांच बड़ी बातों को दी गई थी मंजूरी
दिल्ली बॉर्डर पर अलग-अलग राज्यों से आए किसानों के जत्थों द्वारा विरोध प्रदर्शन करते हुए करीब 2 हफ्ते बीत चुके हैं। हजारों की संख्या में किसान आज भी दिल्ली के बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। वहीं केंद्र सरकार ने बुधवार को किसानों की मांग के अनुसार किसान हित में 9 पेज का एक प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव में सरकार ने किसानों की सहमति मांगी थी लेकिन सभी किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव को एक सिरे से नकार दिया और तीनों कानून को रद्द करने की मांग की।
दरअसल बताया जा रहा है कि यह प्रस्ताव में लिखी बातें संशोधन को लेकर थीं। जब केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों में संशोधन प्रस्ताव बनाया गया तो इस बनाए गए प्रस्ताव में गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी मुहर लगाई। वहीं कृषि कानून संशोधन प्रस्ताव में सरकार ने पांच बड़ी बातें रखीं थीं जिसमें सबसे बड़ी मुख्य बातें यह थीं कि एमएसपी जारी रखने की लिखित में गारंटी दी जाएगी। इसके साथ ही किसानों के अधिकारों का हनन होने पर उन्हें कोर्ट जाने का अधिकार दिया जाएगा। और तो और फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की भी मंजूरी मिलेगी, साथ ही निजी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराने की बात और मंडी कानून में APMC में बड़े बदलाव की बात भी कही गई थी। इस संबंध में किसानों को शाम तक जवाब देने के लिए कहा गया था।
लेकिन इन सभी प्रस्तावों को एक सिरे से ख़ारिज कर दिया गया। वहीँ किसानों द्वारा केंद्र सरकार के भेजे प्रस्ताव को खारिज करने के बाद मोदी सरकार में खलबली मच गई है और अब किसानों द्वारा प्रस्ताव खारिज करने के बाद सरकार द्वारा बैठकों का दौर लगातार जारी है। किसानों ने प्रस्ताव खारिज करने के बाद अपना आंदोलन और तेज कर दिया है। बताया जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बीच मामले को लेकर करीब ढाई घंटे तक बैठक चली। बैठक में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी उपस्थित रहे।
किसान नेताओं ने ऐलान कर दिया है कि अगर किसान बिल से जुड़े सभी कानून वापस नहीं लिए गए तो 12 दिसंबर को चक्का जाम करने के साथ ही देशव्यापी आंदोलन शुरू हो जाएगा जो कि 14 दिसंबर को एक बड़ा रूप ले लेगा।