आगरा। राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश के चलते आगरा जनपद के पिनाहट, बाह के चंबल में उफान के चलते बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं। चंबल का जलस्तर खतरे के निशान को छू चुका है। रात भर तटवर्ती गांवों के लोगों ने दहशत में रात गुजारी है। दर्जनभर गांवों के संपर्क मार्ग पूरी तरीके से डूब चुके हैं। घर में भी पानी घुसने लगा है। रात भर ग्रामीणों ने ऊंचे टीलों पर खड़े होकर दहशत भरी रात गुजारी है। करीब आधा दर्जन गांवों की बिजली भी काट दी गई है।
हालांकि प्रशासन ने की टीम भी गांव का निरीक्षण कर रही हैं गोहरा, गुड़ा, रानीपुरा, भटपुरा में वन विभाग द्वारा स्ट्रीमर सेवा चालू कर दी गई है। स्ट्रीमर के सहारे इन गांवों में डॉक्टर की टीम जरूरी सामान केरोसिन आदि की व्यवस्था की गई है। वहीं कछियारा रेहा, बीच का पुरा, उमरैठा पुरा आदि गांव में भी प्रशासन की टीम चौकी बनाकर निगरानी कर रही है।

चंबल नदी में चारों तरफ पानी पानी नजर आ रहा है। किसानों की हजारों बीघा जल फसल भी जलमग्न हो गई है। शनिवार को फिर से 9682 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था जो आज शाम तक बाह क्षेत्र में पहुंचने के आसार हैं इसके बाद तटवर्ती गांवों में खतरा और बढ़ जाएगा। पहले से ही चंबल का पानी खतरे के निशान को छू चुका है। ऐसे में और तेजी से आ रहे पानी से चंबल में क्या हालात होंगे यह सोच कर ग्रामीण दहशत में हैं और प्रशासन के भी हाथ-पांव फूले हुए हैं ।

आगरा जनपद के बाह क्षेत्र के गाँव में ग्रामीणों के साथ साथ स्कूल जाने वाले मासूम बच्चे भी घरों में कैद हो गए हैं। उन्होंने पहली बार अपने आशियाने के आसपास इतना भीषण पानी देखा है। पूरी रात यह नौनिहाल जागते रहे। इन गांवों में चारों ओर से पानी भर जाने के कारण चंबल के जलीय जीव के गांवों में घुसने के आसार बन गए हैं। रात भर लाठी-डंडों क्लारी को हाथ में लेकर अपने पशु और बच्चों की रखवाली करते नजर आए।
चंबल नदी में रोजना लगातार राजस्थान के कोटा बैराज से पानी छोड़ा जा रहा है जिससे चंबल नदी में पानी बढ़ने की संभावना है, कोटा बैराज से अब लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। गुरुवार को 113000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था उसके बाद शुक्रवार को 9618 क्यूसेक पानी छोड़ा गया और रविवार को भी कोटा बैराज से करीब 7000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।

लगातार छोड़े जा रहे पानी से चंबल में और हालात बिगड़ने की संभावना है। पहले से ही यह गांव पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में हैं। ऐसे में लगातार पानी छोड़े जाने पर गांवों में हालात और खराब होंगे। प्रशासन द्वारा तटवर्ती इलाकों में लेखपालों एवं ग्राम पंचायत सचिवों को चौकियां बनाकर तैनात किया गया है और चंबल के जलस्तर पर निगाह बनाने के साथ ग्रामीणों को सुविधा मुहैया कराने के लिए निर्देशित किया गया है। खेड़ा राठौर के गांव गोहरा में चंबल के पानी से गांव का रास्ता बंद हो जाने के कारण प्रशासन द्वारा स्ट्रीमर संचालन किया गया है जिससे गांव वालों को गांव तक लाया और ले जाया जा सके। प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद दिखाई दे रहा है, जिन गांव से तहसील मुख्यालय से संपर्क कट गया है और गांव पर विशेष ध्यान प्रशासन के अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा रखा जा रहा है। गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी तैनात की गई है।