आगरा। हम बात कर रहे हैं ताजनगरी के प्रकृति प्रेमी, सर्प रक्षक व पेडों के विपिन कपूर सैनी की, जो न केवल जीव-जंतुओं को बचाने का कार्य करते हैं बल्कि वह धरती के आभूषण पेडों को भी अनावश्यक तारों, कीलों, धागों, और कंक्रीट आदि से आजाद करवा रहे है। इसलिये लोग इन्हें पेड़ों का हमदर्द, साथी, व डॉक्टर इत्यादि कहते हैं। विपिन के मुताबिक हम आजकल पेडों को अनदेखा करते जा रहे हैं। हम कई बार अपने स्वार्थ के लिए पेडों पर कील ठोंक देते हैं या फिर उन्हें लोहे के तार से लपेट देते हैं जिसके कारण पेडों की वृद्धि में रुकावट आने लगती है, साथ ही पेडों को भी साँस लेने में दिक्कत होती है जिससे उनकी जड़ें कमजोर होने लगती है और पेड़ आंधी तूफान, वर्षा आदि मौसम में गिर जाते है।
वन्य जीव सरंक्षक विपिन कपूर सैनी ने बताया कि पेड़ों को कील-तारों से जकड़ने के कारण वह पेड़ सूखने व गिरने लगता है। पेड़ों को सही तरह से पानी व पोषण नहीं मिल पाता है। कई बार हम धार्मिक भावना में बहकर आस्था के प्रतीक पेड़ों पर दूध, मूर्तियां या धागे से बांधकर आदि से ग्रसित कर देते हैं जिनका पेडों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उनमें कई प्रकार के रोग भी प्रकट हो जाते हैं। हम चाहे तो इन सब परेशानियों से निजात पा सकते है।
विपिन पिछले लगभग 3 वर्षों से पेडों पर कार्य कर रहे हैं। इन्होंने अब तक लगभग 8 किलो 300 ग्राम किलो कील, 12 किलो बिजली के तारों मूर्तियों आदि सामग्री से पेड़ों को आजाद करवा कर उन्हें खुली हवा में सांस लेने लायक बनाया है। विपिन ने बताया है कि उन्होंने ख़ुद इस कार्य को अंजाम देने के लिए एक एनजीओ बनाई है। उत्तर प्रदेश में किसी के द्वारा यह पहला प्रयास है जिसमें हम पेड़ो से कंक्रीट तार, कील, मूर्तियां, धागे आदि हटाते हैं। इस पुनीत कार्य में विपिन की छोटी बहन आकांक्षा कपूर भी उनका भरपूर साथ दे रही हैं।

विपिन पिछले लगभग 3 वर्षों से लगभग 8 किलो 300 ग्राम किलो कील, 12 किलो बिजली के तारों और मूर्तियों आदि सामग्री से पेड़ों को आजाद करवा कर उन्हें खुली हवा में सांस लेने लायक बना चुके हैं
अपने शुरुआती सफर में जानकारी देते हुए विपिन ने बताया कि ‘जब मैने आस-पास के पेड़ों को देखकर उनसे कील या कंटीले तारों को निकालना शुरू किया तो उन्हें एहसास हुआ कि किस तरह हमारे आस-पास दशकों पुराने पेड़ों को या तो काट दिया गया था या फिर वे विज्ञापन-प्रचार का माध्यम बन गए थे। शुरूआत में राहगीर मुझे संदेह से घूरते हुए सोचते थे कि यह युवक पेड़ों के साथ क्या कर रहा है जिसके पास कुछ उपकरण हैं लेकिन मैंने तय किया कि मैं अपने काम पर ध्यान केंद्रित करूंगा। पेड़ों को कील मुक्त बनाने की अवधारणा से प्रेरित होकर कुछ लोगों ने सहयोग किया। विपिन पेड़ों के सरंक्षण के काम में पिछले लगभग 120 दिनों से जुटे हुए हैं जिसमें वे 185 पेडों को कील, नुकीले तारों से मुक्त कर चुके हैं।
विपिन ने बताया कि उन्होंने इस काम की शुरुआत आगरा के UPSIDC, शास्त्रीपुरम, विजय नगर, कमला नगर आदि क्षेत्रों से की थी। इसके बाद उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर में भी कुछ विषेश स्थानों पर उन्होंने पेड़ों को बचाने का सिलसिला शुरू किया। पेड़ों के संरक्षण और संरक्षण अधिनियम 1975 और उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के बारे में आसपास के लोगों को बताया। आगरा वन्य जीव संरक्षक, दिवाकर श्रीवास्तव का कहना है कि नियमो के अनुसार पेड़ों की अवैध कटाई और सार्वजनिक दृश्य में खुले किसी भी स्थान की विकृति कानून के तहत दंडनीय है। विपिन ने बताया कि उन्होंने बिना किसी सरकारी मदद के इसे सफल बनाने का संकल्प लिया, साथ ही आने वाले समय में वे अन्य लोगों को साथ जोड़कर अधिक से अधिक पेडों को सरंक्षण व स्वस्थ बनाने का क्रम जारी रखेंगे।
Published By – Vivek Saxena