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‘डा. एसएन सुब्बाराव ने अपनी प्रतिभा, गतिशीलता व राष्ट्रप्रेम से आगरावासियों को कराए बापू के दर्शन’

by admin
'Doctor. SN Subbarao, with his talent, dynamism and patriotism, made the people of Agra have darshan of Bapu.

आगरा। गजब की वक्तृता और ओजस्वी वाणी। न कभी रुके न कभी थके। रुके तो इतने, कि इस संसार से ही विदा हो गए। गांधीवादी विचारक पद्मश्री डा. एसएन सुब्बाराव ने इस देश को अपनी प्रतिभा, अपनी गतिशीलता और राष्ट्रप्रेम से बापू के दर्शन आगरा वासियों को समय-समय पर कराए। जब भी वे आगरा आए, हर बार शहरवासियों को नई ऊर्जा दे कर गए।

सुब्बाराव जी निधन गत दिनों जयपुर में हो गया। उनका आगरा से काफी लगाव था। जब भी कोई बुलाए, वे बहुत ही सहजता के साथ आ जाते थे। मेरी उनसे कई बार गांधीवादी श्री शशि शिरोमणि जी के लताकुंज, बालूगंज में मुलाकात हुई। हर बार उनकी चिंता नई पीढ़ी हुआ करती थी। वे चाहते थे कि किसी भी छात्र के चेहरे पर निऱाशा नहीं झलके, सभी ऊर्जावान हों।

सुब्बाराव जी से पहली मुलाकात कब हुई, यह तो ध्यान नहीं, लेकिन जब भी वे आगरा आए, मैं उनसे मिला। एक पत्रकार की हैसियत से साक्षात्कार लिया, उनके कार्यक्रम कवरेज किए। सन् 2005 में आगरा जनपद के गुतिला गांव में एक कैंप लगाया, जो मिनी हिंदुस्तान था। इसमें देश के 22 प्रांतों के नौजवान आए थे। उन सबको देशभक्ति का पाठ पढ़ाते हुए गांधी जी की सत्य, अहिंसा, प्रेम और करुणा का संदेश दिया गया।

विशाल पदयात्रा

मैंने सन् 2007 में पहली बार सबसे बड़ी पदयात्रा देखी। ग्वालियर रोड पर सैंया में कई किलोमीटर लंबी कतार। मैं तो हतप्रभ था। कतार इतनी लंबी की खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। पदयात्रा में ग्रामीण व आदिवासी महिलाएं लोक गीत गाती हुई जा रही थी। हर प्रांत के लोग अपनी भेषभूषा में थे।

यह विशाल पदयात्रा ग्वालियर से शुरू हो कर आगरा आ रही थी। इसमें जल, जंगल और जमीन के लिए मांग की गई। आगरा शहर में आने पर यहां विभिन्न स्थानों पर पांच दिन का पड़ाव रहा।

इस यात्रा के नेतृत्व कर रहे श्री पीवी राजगोपाल जी से जब मिला तो आश्चर्य चकित हो गया। बहुत सहज, सरल, व्यक्तित्व के धनी इस व्यक्ति ने इस पदयात्रा से पूरे देश को हिला कर रख दिया था। राजगोपाल जी ने ही बताया कि इस यात्रा के प्रेरणा स्रोत श्री सुब्बाराव जी हैं और वे पदयात्रा के समापन कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। यह पदयात्रा 28 दिन में ग्वालियर से दिल्ली पहुंची थी।

एक लाख ग्रामीणों की पदयात्रा

उसके बाद इस आंदोलन ने और विशाल रूप सन् 2017 में लिया। तब अक्टूबर में ग्वालियर से यह यात्रा शुरू हुई, जिसमें एक लाख पद यात्री थे। दिल्ली सरकार हिल गई कि यदि एक लाख लोग मथुरा-दिल्ली मार्ग पर ही पहुंच जाएंगे तो पूरा देश हिल जाएगा, इसलिए आगरा में ही समझौते का आफर आ गया। शासन ने नौलक्खा के पास 9 अक्टूबर को शक्ति पार्क में एक सभा का आयोजन किया, जिसमें श्री एसएन सुब्बाराव जी, श्री राजबब्बर जी आए। सरकार की ओर से तत्कालीन वन व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश भी पहुंचे थे।

तीन दिवसीय शिविर में आए थे आठ हजार युवा

सबसे बड़ा कार्यक्रम सुब्बाराव जी ने शिल्पग्राम में अक्टूबर 2015 में आयोजित किया। यह 15वां सर्वोदय सम्मेलन था। इसमें स्वाधीनता सेनानी सरोज गौरिहार जी अध्यक्ष और श्री चंद्रमोहन पाराशर सचिव थे। इस तीन दिवसीय आयोजन में देश-विदेश के आठ हजार युवा आए थे, जिन्हें स्वयं सुब्बाराव जी व अन्य गांधीवादियों ने गांधीवाद, आचार्य विनोबा भावे के विचारों का पाठ पढ़ाया था। इन सभी के ठहरने व भोजन की व्यवस्था यहां की गई थी। अलग-अलग प्रांतों के हिसाब से कैंप लगाए गए थे।

उनके साथ इन सभी आयोजनों में रानी सरोज गौरिहार, श्रीमती मनोरमा शर्मा, श्री चंद्रमोहन पाराशर, श्रीमती वत्सला प्रभाकर, श्री शशि शिरोमणि, डॉ. गिरीश यादव, डॉ.।मधुरिमा शर्मा, श्री संजय खिरवार, श्री एमके भारद्वाज, डॉ. अंगद धारिया आदि शामिल रहते थे।

डकैतों का कराया था आत्मसमर्पण

डॉ. सुब्बाराव को उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि 14 अप्रैल 1972 मिली। उन्होंने बीहड़ में जौरा के गांधी सेवा आश्रम में 654 डकैतों का उन्होंने आत्म समर्पण कराया था। उस समय समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण और उनकी पत्नी प्रभादेवी भी वहां मौजूद थीं। तब 450 डकैतों ने जौरा के आश्रम व बाकी ने धौलपुर में गांधीजी की तस्वीर के सामने हथियार डाले थे।

सरकार का नैतिक शिक्षा पर ध्यान नहीं

पद्मश्री डा. सुब्बाराव का कहना था कि सरकार डाकुओं को मारने और उन्हें ढूंढ़ने में लाखों रुपये खर्च कर देती है, लेकिन समाज में नैतिक शिक्षा देने के लिए धन व्यय नहीं किया जाता। जिससे युवा पीढ़ी संस्कारों से भटक रही है। ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसी व्यक्ति को मृत्युदंड देने का मौका ही नहीं मिले। गांधीवाद की चर्चा करते हुए वे कहते थे कि बचपन में गांधीजी डरपोक स्वभाव के थे, लेकिन उन्होंने अपने आप में इतना आत्मबल उत्पन्न किया कि अंग्रेजों से कहा, भारत छोड़ो।

वे सबके भाई जी थे

आगरा के श्री चंद्रमोहन पाराशर सुब्बाराव जी को अपना गुरु मानते थे। उनका कहना है कि सुब्बाराव जी की संस्थाओं को लगातार सक्रिय रखा जाएगा। उनके कार्यों को हमेशा आगे बढ़ाया जाएगा। सुब्बाराव को सभी भाई जी कह कर पुकारते थे। वे सबके बड़े भाई की तरह ही थे।

श्रद्धाजंलि

स्व.सुब्बाराव जी जयपुर में बीमार थे। गांधीवादी नेता स्व.कृष्णचंद सहाय की पुत्री, हमारी बहन मधु जी उनसे मिलने गईं और उनके साथ के फोटो मेरे वाट्सएप पर भेजे। तब नहीं लग रहा था कि सुब्बाराव जी इतने अस्वस्थ हैं कि वे हम सबका साथ छोड़ जाएंगे। 27 अक्टूबर 2021 को वे इस संसार से विदा हो गए। मैं उनके इस निधन से बहुत आहत हूं और अश्रुपूरित श्रद्धाजंलि अर्पित करता हूं।

लेखक – आदर्श नंदन गुप्त (वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यसेवी)

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