भारतीय महिला हॉकी टीम भले ही टोक्यो ओंलंपिक में बड़ी कामयाबी हासिल न कर सकी हो लेकिन अपने खेल से पूरे विश्व में अपनी अमिट छाप छोड़ दी है। कांस्य पदक के मैच में ग्रेट ब्रिटेन ने भारत को कड़े और रोचक मुकाबले में 4-3 से हरा दिया। भारत ने दो गोल से पिछड़ने के बाद वापसी की थी लेकिन पदक नहीं जीत सकी। इसके बावजूद लोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके लिए गर्व महसूस कर रहे हैं और उनके जज्बे की इज्जत कर रहे हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर महिला हॉकी टीम की एक प्लेयर के घर की कुछ तस्वीरें तेजी के साथ वायरल हुई जिसे देखकर लोगों को शर्मिंदगी महसूस होने लगी।
!['Do women hockey players playing for the country live in such houses', people expressed their displeasure with the government](https://moonbreaking.com/wp-content/uploads/2021/08/IMG-20210807-WA0017-1024x653.jpg)
महिला हॉकी प्लेयर के घर की ये तस्वीरें न्यूज एजेंसी एएनआई ने सोशल मीडिया पर शेयर की हैं। फोटो के साथ लिखा है कि झारखंड के सिमडेगा जिले के बड़कीचापर गांव में हॉकी खिलाड़ी सलीमा टेटे के आवास का दृश्य। टेटे भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा हैं जो टोक्यो ओंलंपिक में कांस्य पदक के लिए ग्रेट ब्रिटेन से भिड़ी थीं। सलीमा के घर को देखकर उनके परिवार की आर्थिक हालत का बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है।
!['Do women hockey players playing for the country live in such houses', people expressed their displeasure with the government](https://moonbreaking.com/wp-content/uploads/2021/08/IMG-20210807-WA0016-1024x553.jpg)
घर का हर कोना-कोना परिवार की गरीबी और लाचारी की गवाही दे रहे हैं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने खेल पर इसकी छाप नहीं पड़ने दी।
!['Do women hockey players playing for the country live in such houses', people expressed their displeasure with the government](https://moonbreaking.com/wp-content/uploads/2021/08/IMG-20210807-WA0015-1024x557.jpg)
सोशल मीडिया पर जब यूजर्स ने सलीमा टेटे के घर की ये तस्वीरें देखीं तो वो हैरान और परेशान हो गए। लोग सवाल कर रहे हैं कि देश के लिए खेलने और देश को सम्मान दिलाने वाली हाॅकी की महिला खिलाड़ी क्या ऐसे घरों में रहती है? क्या उनकी जिंदगी इतने संघर्षाें में कट रही है। काफी लोगों ने तो सरकार पर भी सवाल खड़े करने शुरू कर दिए लोगों का कहना था कि खिलाड़ियों के लिए अलग से बजट निर्धारित किया जाता है लेकिन उसका सही लाभ इन खिलाड़ियों तक नहीं पहुंचता।