- अवधपुरी बने कर्मयोगी एनक्लेव में बह रही है श्री राम कथा की अमृत धारा
- श्री राम कथा प्रसंग के सातवें दिवस हुआ चित्रकूट महिमा का वर्णन और भरत चरित्र प्रसंग
आगरा। सब किसी को भरत जी के चरित्र, कीर्ति, करनी, धर्म, शील, गुण और निर्मल एश्वर्य समझने में और सुनने में सुख देने वाले हैं और पवित्रता में गंगाजी का और मधुरता में अमृत का भी तिरस्कार करने वाले हैं। यदि वर्तमान में परिवार को विघटन से बचाना है तो अपनी संतान को भरत चरित्र अवश्य सुनाएं। ये सीख देते हुए श्रीराम कथा के सातवें दिन कथा व्यास भरत उपाध्याय ने भरत चरित्र का वर्णन किया।
शुक्रवार को कर्मयोगेश्वर मंदिर, कर्मयोगी एनक्लेव, दयालबाग पर चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिन चित्रकूट धाम की महिमा का वर्णन एवं भरत चरित्र प्रसंग हुए। मुख्य अतिथि सुनील विकल, यजमान जीतू और रिचा अग्रवाल ने श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और भरत जी के स्वरूपों की आरती उतारी। जीतू अग्रवाल ने बताया कि शनिवार को लंका दहन एवं रावण वध प्रसंग होंगे। हनुमान मंदिर, लंगड़े की चौही के महंत गोपी गुरु ने बताया भरत का अपने ज्येष्ठ भ्राता के लिए प्रेम मात्र भ्रात प्रेम नहीं था अपितु ये भक्त और भगवान के मध्य का प्रेम था।
कथा व्यास भरत उपाध्याय ने चित्रकूट धाम की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि चित्रकूट मात्र स्थान नहीं अपितु वो पवित्र भूमि हैं जहां साक्षात श्रीनारायण हरि विष्णु ने अपने चरण रखे। वास किया और उस स्थान को बैकुंठ की दिव्यता प्रदान की। शिवानी अग्रवाल के निर्देशन में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं। इस अवसर पर इस अवसर पर पार्षद कंचन बंसल, मंदिर सचिव ओम प्रकाश, गिर्राज बंसल, संजय गुप्ता, विजय रोहतगी, प्रभात रोहतगी, पवन बंसल, विजय अग्रवाल, अंकित बंसल, हरीश गोयल, भानु मंगलानी, संजय अग्रवाल, आशु रोहतगी, बीएस शर्मा आदि उपस्थित रहे।