आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में कोरोना का कहर चरम पर देखा जा रहा है। यहां औसतन हर 2 घंटे के अंदर तीन संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। सबसे पहले यह संक्रमण उन लोगों के बीच में फैला था जो लोग विदेश यात्रा से लौटे थेया फिर विदेश यात्रा से लौटने वाले लोगों के संपर्क में थे मगर अब कोरोना संक्रमण शहर के लगभग हर क्षेत्र में पहुंच चुका है और अब ऐसे लोग कोरोना के चपेट में आ रहे हैं जो लॉक डाउन का पूर्ण पालन करते हुए अपने घर ही रह रहे हैं। ऐसे मामले जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। अब तक 22 संक्रमित लोगों की मौत हो चुकी है। लोग त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे हैं, हालात बिगड़ चुके हैं। मामला आउट ऑफ कंट्रोल है। लोग जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि लोग दहशत के साए में घरों में कैद हो गए हैं। जिला प्रशासन ने पाबंदियां लगाने की कोशिश जरूर की है मगर अभी तक मामला हाथ में नहीं है। जल्द ही प्रशासन द्वारा कोई खास रणनीति बनाकर कोरोना पर लगाम नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब आगरा चीन का वुहान जैसा दूसरा शहर बन जाएगा।
मरीजों से जानवरों जैसा व्यवहार –
आगरा में कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के संक्रमित लोगों को इलाज के लिए आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज को आइसोलेशन वार्ड बनाया गया गया है। यहां संक्रमित मरीजों का इलाज बड़ी संख्या में हो रहा है। इसके अलावा कई होटल और कॉलेजों को क्वारिनटाइन सेंटर बनाया गया है। बड़ी संख्या में यहां लोगों को क्वारिनटाइन किया गया है। मगर आये दिन एसएन मेडिकल कॉलेज से लेकर क्वॉरेंटाइन सेंटर की बदहाल व्यवस्था के वीडियो सोशल मीडिया जमकर वायरल हो रहे हैं जिन्होंने जिला प्रशासन की व्यवस्था की पोल खोल दी है। क्वारिनटाइन लोग बताते हैं कि जानवरों की तरह भोजन दिया जा रहा है। शुद्ध पानी की जगह गंदा पानी पीने को मिलता है और कच्ची रोटी खाकर ही गुजारा कर रहे हैं। कई मरीज तो ऐसे हैं जिन्हें अन्य गंभीर बीमारी हैं लेकिन कई दिन निकल जाने के बाद भी कोई डॉक्टर या नर्स उन्हें देखने नहीं आता ना ही किसी प्रकार की दवाई उपलब्ध करवाई जाती है। इस कारण कई मरीज काल के गाल में समा चुके हैं।
ईलाज़ व्यवस्था चरमराई –
मेडिकल हब सिटी कहे जाने वाले आगरा शहर में यह हालत हो गई है कि जहां एक तरफ कोरोना पीड़ित के परिवार चिल्ला चिल्ला कर अपनी जांच कराने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना मरीज की मौत के बाद उसकी डेथ बॉडी लेने के लिए कई दिनों तक परिजन चक्कर काट रहे हैं। इतना ही नहीं, नॉन कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्रशासन की तरफ से की गई सारी व्यवस्था फेल हो चुकी है। स्थिति यह हो चुकी है कि इलाज के अभाव में अब लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं। इसी लापरवाही के चलते शहर ने एक वरिष्ठ पत्रकार को खो दिया।
भूखे-प्यासे मजदूरो का हंगामा –
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर जनता कर्फ्यू से आगामी 17 मई तक प्रदेश और केंद्र सरकार ने पूरे देश और प्रदेश को लॉकडाउन कर दिया। ऐसे में मजदूरी करने वाले मजदूर पर रोजी-रोटी का संकट आ गया था। दूसरे जिलों में फंसा मजदूर पर जितनी रकम थी वह खानपान में खर्च हो चुकी थी। भूख और प्यास से व्याकुल मजदूर अब अपने सिर पर बोझा, गोद में मासूम बच्चा और हाथ में पानी की बोतल लेकर अपने शहर, अपने घर, अपने प्रांत, के लिए निकल पड़ा है। पहले प्रशासन की ओर से इनके खाने-पीने और रुकने की व्यवस्था कराई गई लेकिन अब यह व्यवस्था बंद हो गयी। ऐसे में बीते दिन भूखे-प्यासे घर जा रहे हज़ारों मजदूर आक्रोशित होकर आगरा फिरोजाबाद बॉर्डर पर ही बैठ गया, जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान मजदूरों ने भी तमाम आरोप लगाए और भूख के लिए रोते नजर आए।
कोरोना के भयावह आंकड़े –
कोरोना वायरस जैसी संक्रमित बीमारी से शायद ही कोई बचा हो। आगरा में हालात बेहद खराब हो चुके हैं। यहाँ सबसे पहले विदेश से लौटने वाले लोग संक्रमित हुए थे। इसके बाद में अब सब्जी वाले, फल वाले, बैंक कर्मी, राशन डीलर, चिकित्सक, तीमारदार, पुलिसकर्मी, पत्रकार और दलित और मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग भी संक्रमित हुए हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि यहां आगरा में 17 पत्रकार कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी की चपेट में हैं। इसके अलावा एक दर्जन से ज्यादा खाकीवर्दीधारी कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं। दलित और मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग, व्यापारी, राशन डीलर, बैंक कर्मियों की बात करें तो यह आंकड़ा 678 पर पहुंच चुका है जो बेहद चिंता का विषय बना हुआ है। लोगों का आरोप है कि आगरा में जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूर्ण तरीके से फेल हो गया है।
कोरोना वायरस से मौत के अगर आंकड़े की हम बात करें तो इसमें अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें एक पत्रकार, एक पुलिसकर्मी, गर्भवती महिला, डायलिसिस कराने आई महिला, मिठाई कारोबारी शामिल हैं।
शासन-प्रशासन हुआ फ़ेल –
जिस दिन से आगरा में हालात बद से बदतर हुए कोरोना वायरस का आंकड़ा सातवें आसमान पर पहुंचा, शासन से लेकर प्रदेश सरकार गंभीर हुई। यही वजह थी कि सीनियर आईएएस आलोक कुमार को प्रदेश सरकार ने लखनऊ से आगरा के लिए मॉनिटरिंग के लिए भेजा। आगरा जिले के डीएम प्रभु नारायण सिंह और सीएमओ मुकेश कुमार वत्स के ऊपर नोडल ऑफिसर आलोक कुमार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। लेकिन नोडल अधिकारी के आने के बाद भी यहां के हालात जस के तस हैं। आगरा में अब केंद्र की स्वास्थ्य विभाग की टीम आई है जिसका मतलब साफ है कि शासन स्तर से सभी कार्रवाई फेल हो चुकी है।
हालांकि नोडल ऑफिसर सीनियर आईएएस आलोक कुमार कहते हैं कि हालातों को काबू करने के लिए लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। हॉटस्पॉट वाले इलाकों में कोई रियायत न दी गई है। लगातार ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है और बेवजह उल्लंघन करने वाले लोगों पर धारा 188, 269, 270 और तीन महामारी एक्ट के खिलाफ अभियोग दर्ज किया जा रहा है। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों के चालान भी किए जा रहे हैं।
यहां फूट सकता है कोरोना बम –
सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि आगरा के केंद्रीय कारागार मैं सजायाफ्ता कैदी भी कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से संक्रमित हुआ है। जेल प्रशासन के मुताबिक यह कैदी ना तो पेशी पर गया था और ना ही कोई मुलाकाती पिछले 3 महीने में इस कैदी के संपर्क में था। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सेंट्रल जेल कैदी कैसे संक्रमित हो गया। जांच पड़ताल में सामने यह भी आया है कि यह कैदी बीच में अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए आगरा के सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज गया था जिसके चलते संक्रमित हुआ है और डर इस बात का है कि जिस बैरक में यह संक्रमित कैदी मौजूद था। उस बैरिक में 90 कैदी और मौजूद हैं जिनकी स्क्रीनिंग के साथ जेल में सैनिटाइजिंग भी कराई जा रही है।
कोरोना योद्धा के प्रति दिखी उदासीनता –
वैसे तो आगरा में सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। मगर गुरुवार को जो वीडियो वायरल हुआ है। वह बेहद चिंताजनक था। बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में तैनात एक महिला सिपाही की डिलीवरी के दौरान मौत हुई थी जिसकी कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी। यह महिला सिपाही विनीता यादव आगरा के सिकंदरा थाना क्षेत्र की रहने वाली थी। सवाल इस बात का भी है कि कोरोना वायरस शिकार महिला सिपाही की मौत के 4 घंटे तक उसके शव को हाथ लगाने के लिए जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग से लेकर आस पड़ोस में रहने वाले लोग और नाते रिश्तेदार कोई भी नहीं आया था।चिंता का विषय यह भी है कि म्रतक महिला सिपाही के परिवार के लोगों की अभी तक जांच नहीं कराई गई। सोशल मीडिया पर मृतका सिपाही विनीता यादव के परिजनों ने जो वीडियो वायरल किया है उसमें परिजन कहते हैं कि उन्हें खांसी जुखाम और बुखार यानी कोरोना वायरस जैसे लक्षण पाए गए हैं। लगातार जिला प्रशासन को फोन किया जा रहा है ना तो चेकअप हुआ और ना ही कोई जिला प्रशासन का नुमाइंदा यहां तक आया।
जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली इतनी दयनीय हो चुकी है कि कोरोना संदिग्ध लोगों और उनके परिवारों को क्वॉरेंटाइन सेंटर और होम क्वॉरेंटाइन किए जाने के बावजूद न ही उनकी जांच की जा रही है ना ही उनके संपर्क में आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग। यही कारण है कि यदि उनमें से एक भी संक्रमित है तो क्वॉरेंटाइन में 14 दिन रहने पर वह अन्य लोगों को भी संक्रमित करता जा रहा है। जिला प्रशासन खुलेआम स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन का माखौल उड़ा रहा है। जिला प्रशासन कागजी कार्रवाई कर शासन को आगरा में सब कुछ ठीक होने की जानकारी दे रहा है। यहां के डीएम और सीएमओ कोरोना के हालात अपने काबू में होने की कह रहे हैं जबकि हालात इसके विपरीत हैं। कहीं ऐसा ना हो कि सरकार को एक्शन लेने में इतनी देर हो जाए कि आगरा शहर वुहान बनने के कगार पर खड़ा हो चुका हो।