आगरा। पिछले करीब तीन दशकों से कांग्रेस आगरा जिले में वनवास काट रही है। इस बार माहौल अनुकूल था फिर भी कांग्रेस जिले में चारों खाने चित हो गयी और कांग्रेस का यह वनवास पांच साल के लिए और बढ़ गया। पिछले तीन दशकों से कांग्रेस पार्टी का एक भी विधायक और सांसद नही बना है।
इस बार कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष ने फतेहपुर सीकरी सीट पर हाथ आजमाया। कड़ी मशक्कत भी की। कांग्रेस प्रत्याशी राजबब्बर की बेटियों ने भी फतेहपुर सीकरी पर मोर्चा संभाला। यहाँ तक कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उनके लिए जनसभा भी की लेकिन यूपी कांग्रेस अध्यक्ष को जीत हासिल न हो सकी।
ऐसा ही कुछ हाल आगरा लोकसभा सीट प्रत्याशी प्रीता हरित का ही था। संगठन की गुटबाजी का शिकार हुई प्रीता हरित शुरु से ही इस चुनाव की फाइट में नही थी लेकिन संगठन के कुछ लोग जोर आजमाईश करने में जुटे थे। इस प्रत्याशी को संजीवनी देने के लिए कांग्रेस महासचिव ज्योतिरावदित्य सिंधिया ने रोड शो भी किया लेकिन भाजपा की आंधी में सब कुछ उड़ गया। आगरा जिले में दोनो प्रत्याशी अपनी जमानत तक नही बचा सके हैं।
फतेहपुर सीकरी सीट पर 10,37,151 वोट पड़े और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर को अपनी जमानत बचाने के लिए 172858 वोट की दरकार थी लेकिन उन्हें 776 वोट काम मिले और उनकी जमानत जब्त हो गयी। आगरा शहर लोकसभा प्रत्याशी का तो ओर भी बुरा हाल था। प्रीता हरित को 44823 वोट मिले जो जमानत बचाने के लिए बहुत कम थे। लोकसभा के साथ आगरा की उत्तर विधान सभा सीट पर भी उप चुनाव हुए। कांग्रेस ने इस सीट पर ब्राह्मण पर दांव खेला लेकिन भाजपा की परंपरागत सीट कही जाने वाली इस सीट पर भी कमल हावी रहा। कांग्रेस प्रत्याशी इस सीट पर भी अपनी जमानत नही बचा सके।
यह पहली बार होगा जब आगरा जिले की दोनों लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर तीनों प्रत्याशी जीते नही बल्कि उनकी जमानत तक जब्त हो गयी।