आगरा। आजादी के बाद से आगरा के फुलटटी चौराहे से राष्ट्रीय पर्व पर निकलने वाले आजादी के जुलूस की परंपरा को कांग्रेसियों बरकरार रखा है। 71 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर शहर अध्यक्ष देवेंद्र सिंह चिल्लू के नेतृत्व में फुलटटी चौराहे से आजादी का जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ कांग्रेसियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।
शहर अध्यक्ष देवेंद्र सिंह चिल्लू और वरिष्ठ कांग्रेसियों ने आजादी के जुलूस में शामिल हुई भारत माता की भव्य झांकी को हरी झंडी दिखाकर की जिसके बाद यह जुलूस फुलटटी चौराहे से शहर के प्रमुख व पुराने बाजारों में होते हुए, हाथी घाट, जमुना किनारे दरेशी में पुरानी चुंगी पर जाकर समाप्त हुई। इस जुलूस में शामिल होकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम जनमानस उत्साहित नजर आए। आजादी के नारों के साथ ढोल नगाड़ों की थाप पर लोग झूमते हुए नजर आए। चारों ओर, हिन्दू – मुस्लिम – सिक्ख – ईसाई, आपस में हैं भाई भाई, अनेकता में एकता, भारत की विशेषता जैसे नारे गूंज रहे थे। हर कोई आजादी के जश्न में रंगा हुआ नजर आ रहा था। लोगों ने भी आजादी के जुलूस और आजादी के दीवानों का खुले दिल के साथ स्वागत किया। जगह-जगह फूल वर्षा हुई तो वहीं लोगों ने शहर अध्यक्ष के साथ साथ वरिष्ठ कांग्रेसियों का भी सम्मान किया।
इस जुलूस के समापन के दौरान पुरानी चुंगी पर एक जनसभा आयोजित की गई। इस जनसभा की अध्यक्षता वरिष्ठ कांग्रेसी नानक चंद बंसल ने की। जनसभा के दौरान कांग्रेसियों ने अपने विचार भी रखें। शहर अध्यक्ष देवेंद्र सिंह चिल्लू का कहना था कि आजादी के बाद से ही फुलटटी चौराहे से इस जुलूस को निकालने की परंपरा है। यह जुलूस सर्व समाज और सर्व धर्म को एक धागे में पिरोने का काम करता है। आज भी कांग्रेसियों ने इस परंपरा को जारी रख उन लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया है जो लोगों को आपस में लड़ाने का काम करते हैं।
वरिष्ठ कांग्रेसी भारत भूषण गप्पी का कहना था कि आजादी का यह जुलूस एक बार फिर अपने भव्य स्वरूप में लौटा है। पिछले कई सालों से इस जुलूस में शामिल होने वाले लोगों की संख्या कम हो रही थी लेकिन इस बार लोगों ने स्वयं बढ़ चढ़कर इस जुलूस में भाग लिया है। ऐसा लगता है कि आजादी के दीवाने एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हो।
वरिष्ठ कांग्रेसी विनोद बंसल का कहना था कि आजादी के बाद से ही फुलटटी चौराहे से आजादी के जश्न मनाने की शुरुआत हुई थी। रामलीला मैदान पर आजादी के बाद सबसे पहले ध्वजारोहण हुआ था तो वहीं फुलटटी चौराहे से आजादी का जुलूस निकाले जाने की परंपरा शुरू हुई। इस परंपरा को राजनीतिक दलों ने अपने स्वार्थ के लिए अपनी राजनीति का शिकार बनाया लेकिन यह पुनः अपने वैभव पर लौट आया है।
वरिष्ठ कांग्रेसी अनवर सिद्दीकी ने बताया कि वह कई दशकों से इस जुलूस और प्रतिभाग कर रहे हैं। आजादी के मायने क्या है, वास्तव में यह जुलूस आम लोगों को सिखाता है और इस जुलूस के माध्यम से सिर्फ यही संदेश दिया जाता है कि हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब एक हैं और सब आपस में भाई हैं।