Agra. उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के हर बच्चे को शिक्षित बनाना चाहती है। शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए हर संभव प्रयास भी किया जा रहा है लेकिन जितना बजट सरकार शिक्षा पर खर्च कर रही है शायद वह बजट धरातल पर खर्च होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। इसलिए तो आज भी प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को बैठने और पढ़ने के लिए भवन तक नहीं है। ऐसे में कैसे एक गरीब व्यक्ति का बच्चा शिक्षित बन पाएगा।
ताजा मामला सैंया क्षेत्र के नगला तेजा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय का है। इस प्राथमिक विद्यालय में 108 छात्र छात्राएं हैं लेकिन इन छात्र-छात्राओं के लिए सिर्फ एक ही कमरा है जिसमें इन बच्चों की पाठशालाए चलती हैं। वह कमरा भी अब इन बच्चों से छूट गया है क्योंकि उस कमरे की स्थिति जर्जर हो चुकी है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते देश का भविष्य खुले आसमान के नीचे बैठकर शिक्षा पाने को मजबूर है।
इस प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक इंद्र कुमार ने बताया कि इस विद्यालय में दो कमरे हैं। एक कमरा आगनबाडी केंद्र के लिए है। दूसरे कमरे में सभी बच्चों को सामूहिक रूप से पढ़ाया जाता है लेकिन अब यह कमरा भी जर्जर हो चुका है। बच्चों को शिक्षित बनाने के चलते उनके साथ किसी तरह की अनहोनी न हो जाए इसलिए खुले आसमान में क्लास लगाकर उन्हें शिक्षित बना रहा है।
सहायक अध्यापक का कहना है कि जर्जर हो चुके भवन की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी है लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात हैं।
2 टीचर पढ़ाते हैं 108 बच्चों को
इस प्राथमिक विद्यालय में 108 बच्चों का पंजीकरण हो रखा है जो यहां पर शिक्षा ले रहे हैं लेकिन इन 108 बच्चों को सिर्फ दो ही टीचर संभाल रहे हैं। ऐसे में बच्चों को पढ़ाने में कुछ दिक्कतें जरूर आ रही है लेकिन फिर भी हर स्थिति और परिस्थिति में दोनों ही टीचर इमानदारी से बच्चों को शिक्षित बनाने का कार्य कर रहे हैं। समस्या से विभाग को अवगत कराया गया है लेकिन अभी तक कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई है।
कुछ ही बच्चों को मिला सरकारी अनुदान
प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे कुछ ही बच्चों को सरकारी अनुदान मिला है जिससे बच्चे अभी न तो ड्रेस पहन कर आ रहे हैं और न ही उनके पास जूते और मोझे हैं। सरकारी अनुदान का पैसा छात्र छात्राओं के अभिभावकों के खाते में जाता है। कभी-कभी अभिभावक इन पैसों को अपने घर खर्च में उपयोग कर लेते हैं। 108 पंजीकृत छात्र छात्राओं में से लगभग 90 के आसपास प्रतिदिन बच्चों की संख्या रहती है लेकिन अभी तक केवल 7 बच्चों को ही सरकारी अनुदान मिल पाया है।
ए डी बेसिक महेश चंद्र ने बताया कि ‘आगरा जिले में काफी विद्यालय जर्जर स्थिति में है जिन्हें दोबारा से ही बनाया जाएगा। इस संबंध में तकनीकी टीम लगातार निरीक्षण कर रही है। स्कूलों की लिस्ट में यह प्राथमिक विद्यालय भी है। इस प्राथमिक विद्यालय की फाइल जिला अधिकारी कार्यालय पर है। जैसे ही कोई निर्देश मिलता है, तत्काल कार्रवाई की जाएगी।’