आगरा। मंगलवार को विख्यात कंपनी रोमसंस के पूर्व डायरेक्टर रजनीश खन्ना के आत्महत्या करने और इस मामले में बैंक लोन न चुकाने का कारण सामने आने के बाद शहर के व्यापारियों में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। गौरतलब है कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद से व्यापारिक प्रतिष्ठानों को काफी चोट पहुंची है लेकिन प्रमुख करोबारी के साथ कल हुई घटना ने विपक्षियों को सरकार के खिलाफ हमलावर होने का मौका दे दिया है।
आगरा शहर के व्यापारियों का कहना है कि दो दशक पहले तक आगरा शहर में व्यापर की स्थिति बहुत बढ़िया थी। हर व्यापारी बहुत खुश था। क्योंकि उसका व्यापार दिन प्रतिदिन बढ़ रहा था लेकिन उसके बाद से आगरा शहर के व्यापार को किसी की नजर लग गयी। व्यापार की दशा बदली और शहर में व्यापार धीरे धीरे खत्म होने लगा।
व्यापारीगण कहते हैं कि पहले ताज के कारण कई व्यापारियों को नुक्सान हुआ। शहर में ताज संरक्षित क्षेत्र की शुरुआत हुई और स्थिति व्यापार के प्रतिकूल बन गयी। व्यपारियों को राजी-राजी गैरराजी होकर अपनी फैक्ट्रीयां बंद करनी पड़ी तो भट्ठों को अधिकारियों ने अपने डंडे के जोर पर बंद करा दिया। परिणाम यह कि व्यापारियों का व्यापार चौपट हुआ।
इसके बाद सरकार की नीतियों ने आगरा में नए व्यापार खुलने ही नहीं दिया। इन व्यापारों को शुरु करने के लिए व्यापारियों ने बैंको से कर्ज ले रखा था। जैसे तैसे व्यापारी बैंक लोन चुकाने का प्रयास कर रहा था कि इस बीच देश में हुई नोट बंदी ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी। व्यापारी वर्ग पर सरकार का चाबुक यहीं नहीं रुका कि जीएसटी ने व्यापारियों के जले पर नमक छिड़क दिया। पिछले पांच सालो में व्यापारी मानसिक तनाव में व्यापार कर रहा है।
आगरा के प्रमुख व्यवसाई मुरारी लाल गोयल का कहना है कि शहर से व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है। छोटे व्यापारियों पर बैंक का लोन है जिससे व्यपारी तनाव में है। मंगलवार को प्रतिष्ठित व्यवसाई के आत्महत्या करने से अन्य व्यापारियों के परिजनों की चिंताए बढ़ गयी है कि अगले पल उनके साथ कोई अनहोनी न हो जाये।