पिनाहट। कोरोना काल में केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए दिनरात प्रयासरत है। ग्रामीण क्षेत्र में जिस तेजी के साथ कोरोना ने रफ्तार पकड़ी थी। उसके बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार बार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं लेकिन आलम यह है कि स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सकों के बैठने का स्थान नहीं बल्कि भैंसों को रखने के तबेले बने हुऐ हैं। इस स्वास्थ्य केंद्र में दवा नहीं मिलती और न ही वैक्सीनेशन होता है बल्कि इसमें ग्रामीण अपने पशु बांधते हैं। यह हाल आज से नही बल्कि काफी समय से चली आ रही है। इस स्वास्थ्य केंद्र ने जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी के दावों की पोल खोल दी है।
पूरा मामला ब्लाक पिनाहट के गांव मनोना का है। गांव में उप स्वास्थ्य केन्द्र बना हुआ है। यह स्वास्थ्य केंद्र आजकल ग्रामीणों के लिए चिकित्सा केंद्र नही है बल्कि इन दिनो भैसों का तबेला बना हुआ है। ग्रामीणों की माने तो इस स्वास्थ्य केन्द्र मे कभी भी कोई चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मी नहीं आता है। स्वास्थ्य विभाग ने यहां कमीशन के चक्कर में नयी इमारत तो बना दी लेकिन आज यह बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो गई है। यही कारण है कि इस स्वास्थ्य केंद्र के खाली पड़े कमरों का ग्रामीणो ने उपयोग करना शुरु कर दिया। इस कारण ग्रामीण इस स्वास्थ्य केंद्र के कमरो मे भैंस बांधने के साथ ही भूसा भर रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा कमरों के आसपास उपले थापे जा रहे हैं। बताया जाता है कि ज्यादातर क्षेत्र के गांवों में बने उप स्वास्थ्य केन्द्रो की हालत कुछ इसी तरह की है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिनाहट प्रभारी डॉ विजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि खंड विकास अधिकारी से बात हुई है, ब्लॉक के सभी उप स्वास्थ केन्द्रो की सफाई रंगाई पुताई जल्द ही कराई जायेगी।
इस उप स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा देखकर इतना तो साफ हो गया कि स्वास्थ्य विभाग ना तो पहले इन केंद्रों को लेकर सजग था और ना ही अब कोरोना महामारी में विभाग का इस ओर ध्यान है। विभाग इन केंद्रों पर सरकार द्वारा दिए जा रहे बजट को खर्च करके बंदरबांट कर रहा है जिसकी जांच होना अति आवश्यक है।