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बृज होली : बल्देव में हुरंगे का आयोजन, हुरियारों पर बरसे कोड़े

by admin
Brij Holi: Hellenge organized in Baldev, whipping on Hurriyas

मथुरा। होली के बाद भी बृज में होली की खुमारी उतरने का नाम नहीं ले रही है। आज इसी खुमारी के क्रम के बृज के राजा कहे जाने वाले बलदाऊ जी की नगरी बल्देव में हुरंगे का आयोजन किया गया। बल्देव के मुख्य दाऊजी मंदिर प्रांगण में खेले गये इस हुरंगे में भाभी द्वारा देवर के कपडे फाड़ कर उसका कोड़ा बनाकर भाभी देवरो पर बरसाती हैं और इस बीच प्यार भरी तीखी नौक-झोंक भी होतो है। इस हुरंगे को कपड़ा फाड़ होली भी कहा जाता है।

बृज में वैसे तो इस पूरे होली उत्सव के दौरान राधा-कृष्ण की होली की ही धूम रहती है लेकिन बल्देव में आयोजित किये जाने वाले इस हुरंगे की ख़ास बात ये है कि यहाँ बलदाऊ जी की नगरी होने की वजह से देवर-भाभी की होली खेली जाती है। मंदिर प्रांगण में खेली जाने वाली इस होली का यहाँ व्यापक रूप देखने को मिलने की वजह से इसे हुरंगा कहा जाता है। इस होली की परम्परा ये रही है कि इसमें महिलाऐं और पुरुष ही शामिल होते है।

सबसे पहले मंदिर प्रांगण में इकठ्ठा हुई हुरियारिन भाभी और हुरियारे देवर बल्दाऊ जी के मुख्य भवन की परिक्रमा करते है और जैसे ही मंदिर के मुख्य भवन के अन्दर से ऊंची केसरिया झंडी बाहर प्रांगण में आती है, तो यहाँ मौजूद हुरियारिन अपने हुरियारे देवरों के कपडे फाड़ना शुरू कर देती है। इसके बाद इन कपड़ों को टेसू के फूलों से बने रंगों में भिगोया जाता है और फिर भाभी इसे कोड़ा बनाकर देवर को मारती है। अपना बचाव करने के लिये देवर भी बाल्टी में रंग भरकर भाभी के ऊपर डालते है। हुरंगे के दौरान हुरियारे इतने उत्साहित हो जाते है कि वह कभी अपने साथियों को कंधे पर बिठा लेते है और कभी गिरा देते है। इस दौरान लगातार कपडे के बनाये हुए कोड़े से हुरियारिन इन ग्वालों पर वार करती रहती है।

इसे देखकर यहाँ आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक भाव विभोर हुए बिना नहीं रह पाते। बरसाना और नन्दगाँव की ही तरह यहाँ के हुरंगे में भी हुरियारिन हुरियारों पर हावी रहती है, लेकिन यहाँ लाठियों से नहीं बल्कि हुरियारों के कपडे फाड़कर बनाये गये कोड़ों से ही हुरियारिन भाभी अपने हुरियारे देवरों को इस होली का मजा चखाती है।

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