साठ वर्ष से अधिक उम्र की वृद्ध हथनी जो की दोनों आंखों से अंधी है, उसे चिकित्सा देखभाल और उपचार के लिए हाथी अस्पताल लाया गया है। हथनी दुर्बल है, कई गंभीर रोग और अन्य पुरानी चिकित्सा समस्याओं के बीच गठिया रोग से भी पीड़ित है।
अंधी हथनी का इस्तेमाल दशकों से सड़कों पर भीख मांगने और बारातों में किया जाता रहा। उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस के संयुक्त अभियान में बचाई गई “जिंजर” नामक हथनी को वाइल्डलाइफ एसओएस की हाथी एम्बुलेंस में मथुरा के हाथी अस्पताल में लाया गया, जो भारत का पहला और एकमात्र हाथी अस्पताल है, जहां बीमार हाथियों को संस्था द्वारा विशेष चिकित्सा उपचार और देखभाल प्रदान किया जाता है।
संकटग्रस्त हाथियों को सुरक्षा और देखभाल प्रदान करने के मिशन के रूप में, वाइल्डलाइफ एसओएस ने यूपी वन विभाग के सहयोग से हाथी अस्पताल और हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र की स्थापना की थी। हाथी अस्पताल में पशु चिकित्सकों द्वारा एक प्रारंभिक चिकित्सकीय परीक्षण में कई पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ जिंजर हथनी की बिगड़ती शारीरिक स्थिति का पता चला।
नेत्रहीन और वृद्धावस्था की शिकार हथनी गंभीर रूप से कुपोषित है, उसके शरीर पर पुराने घाव है और वह गठिया रोग से भी पीड़ित है। सड़कों पर अधिक चलने के कारण उसके फुटपैड इस हद तक खराब हो गए हैं कि नाजुक फुटपैड अलग होने की कगार पर हैं, यह एक बहुत ही दर्दनाक स्थिति है, जहाँ हथनी को चलने या खड़े होने में भी असहनीय रूप से दर्द होता है। उत्तर प्रदेश वन विभाग अपराधियों के खिलाफ जल्द ही कानूनी कार्रवाई शुरू करेगा।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ और सह-संस्थापक, कार्तिक सत्यनारायण, ने कहा, “हम इस नेत्रहीन और वृद्ध हथनी की नाजुक स्थिति को देखकर बहुत दुखी हैं। तुरंत कार्यवाही कर जिंजर को हाथी अस्पताल में उपचार हेतु भेजने के लिए हम उत्तर प्रदेश वन विभाग के बेहद आभारी हैं।”
वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ इलियाराजा, ने कहा, “हमें संदेह है कि जिंजर हथनी का अंधापन उसके मालिकों की लापरवाही और गंभीर कुपोषण के कारण हुआ है। हमने पौष्टिक सब्जियों, फलों और हरे चारे का आहार निर्धारित किया है, जो जिंजर को ताकत वापस हासिल करने में मदद करेगा। हम उसे नियमित रूप से लेज़र थेरेपी के साथ-साथ घाव की ड्रेसिंग और लगातार चिकित्सा जांच प्रदान करेंगे।”