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#Agra: शरद पूर्णिमा कल, जाने इस रात का महत्व और क्या है मान्यता

by admin

आगरा। शरद पूर्णिमा कल। जाने इस रात का महत्व और क्या है मान्यता।

शरद पूर्णिमा की रात को सबसे उज्जवल चांदनी छिटकती है। चांद की रोशनी में सारा आसमान धुला नज़र आता है। मान्यता है कि इसी धवल चांदनी मे मां लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण के लिए आती हैं।

कैलाश मंदिर आगरा और महालक्ष्मी मंदिर के महंत निर्मल गिरि ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर धरती के मनोहर दृश्य का आनंद लेती हैं। माता यह भी देखती हैं कि कौन भक्त रात में जागकर उनकी भक्ति कर रहा है। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को कोजागरा भी कहा जाता है।

निर्मल गिरि ने बताया कि कोजागरा का शाब्दिक अर्थ है कि कौन जाग रहा है। मान्यता है कि जो इस रात में जगकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं
मां लक्ष्मी की उन पर कृपा होती है।

उनके अनुसार,जो इस रात जागकर मां लक्ष्मी की उपासना करता है, उनकी कुण्डली में धन योग नहीं भी होने पर माता उन्हें धन-धान्य से संपन्न कर देती हैं।

ज्योतिषिय नियमों के अनुसार इसी दिन चन्द्र अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।

यह भी है मान्यता
इस दिन के संदर्भ में एक मान्यता प्रसिद्ध है कि इस दिन भगवान
श्री कृ्ष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था। इस दिन चन्द्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। इसी कारण इस दिन खीर बनाकर रात्रि काल में चन्द्र देव के सामने चांदनी में व मां लक्ष्मी को अर्पितकर अगले दिन प्रात: काल में ब्राह्मण को प्रसाद वितरण व फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करने का विधि-विधान है।

महंत निर्मल गिरि ने बताया कि इस दिन एरावत पर आरूढ़ हुए इन्द्र व महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इससे अवश्य ही लक्ष्मी और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

यह भी है महत्व

ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजन किया जाता है। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। तब मां लक्ष्मी राधा रूप में अवतरित हुई। भगवान श्री कृष्ण और राधा की अद्भुत रासलीला का आरंभ भी शरद पूर्णिमा के दिन माना जाता है।

शैव भक्तों के लिए शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसी कारण से इसे कुमार पूर्णिमा भी कहा जाता है।

पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ
8 व 9 अक्टूबर रविवार की रात 3 बजकर 41 मिनट पर होगा। यह 9 व 10 अक्टूबर की रात 2 बजकर 24 मिनट तक रहेगी।

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