आगरा। दो विकलांग बच्चों के सिर से मां बाप का साया उठ जाने के बाद अब वह खाने तक को मोहताज हो गए हैं। विकलांग बच्चों ने जिलाधिकारी से भी मदद की गुहार लगाई हैं। मोती कटरा खिडकी काले खाँ निवासी दो बच्चे अजय और विजय विकलांग हैं। दो वर्ष पूर्व मां का देहांत हो गया और अब 24 मार्च को पिता रमेश चंद का निधन होने के बाद वह अनाथ हो गये हैं। रमेश फेरी लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे लेकिन पिता के गुजर जाने के बाद अब वो दाने दाने को मोहताज हो गए हैं। यह दोनों भाई लगभग 54 प्रतिशत शारीरिक विकलांग है। विकलांगता के कारण कोई कार्य भी नही कर पाते हैं इसलिए दोनों भाइयों ने प्रशासन से भी मद्द की गुहार लगाई। इसके अलावा इन बच्चों के साथ एक तलाकशुदा बहन बॉबी और उसके तीन बच्चे भी रहते हैं। इन सभी का भरण पोषण भी विकलांग भाइयो के पिता रमेश ही उठाते थे। छह लोगों के परिवार में आज खाने तक को न तो एक दाना है और न ही पैसे है। पिता की मौत के बाद आसपास के लोगों ने मदद की लेकिन कुछ समय बाद वह भी बंद हो गई। कई लोगों ने सोशल मिडिया पर भी विकलांग बच्चों की मद्द के लिए पोस्ट डाली गई। उसका भी कोई असर नहीं हुआ। आज हालात ऐसे है कि पूरा परिवार दिन भी दरवाजे की ओर आस लगाये रहता है कि शायद कोई खाना लेकर आये। वहीं जिस किराये के मकान में यह परिवार रहता है। वग मकान मालिक मानवता के नाते किराया नहीं ले रहा है लेकिन अब उन्हें पेट भरने के लिए बस भोजन की दरकार हैं। शारीरिक विकलांगता ज्यादा होने और उम्र कम होने के कारण कोई काम भी नहीं कर पा रहे है जिससें दोनों भाई शर्मिंदगी महसूस करते है लेकिन बहन और उसके बच्चों की खातिर लोगों से मदद की अपील कर रहे है।
विकलांग भाइयों ने इस संबंध में जिला अधिकारी पीएन सिंह को भी मदद के लिए ज्ञापन दिया है लेकिन प्रशासन की ओर से भी अभी तक उन्हें किसी भी तरह की मदद नहीं मिल पाई है जिससे अब यह परिवार पूरी तरह से टूट गया है लेकिन उम्मीद की किरण अभी तक इन्होंने नहीं छोड़ी है। उन्हें उम्मीद है कि कोई तो व्यक्ति या फिर सामाजिक संस्था उनकी विवशता को समझेगी और मदद के लिए आगे आएगी।